- माह-ए-रमजान की सीख को अपने जीवन में उतारें

LUCKNOW: माहे रमजान के दौरान महज भूखा-प्यासा रहने के साथ किसी की बुराई न करना, न देखना और न सुनना भर ही नहीं है, बल्कि इस सीख को अपने जीवन में उतारते हुये हमेशा इसपर अमल करना भी है। धर्मगुरुओं का कहना है कि रोजा का असल मकसद समझने की आवश्यकता है.् कुरआन में आया है कि इन दिनों में खुदा अपनी झोली खोल देता है। ऐसे में रोजेदारों को चािहए कि रोजा, नमाज व तरावीह की पाबंदी के साथ ही ज्यादा से ज्यादा समय इबादत में गुजारें।

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सुन्नी सवाल-जवाब

सवाल- मैं स्टेशनरी की दुकान चलाता हूं। 15 हजार की कीमत का सामान दुकान में हैं और दुकान किराये की है तो क्या सामान पर भी जकात है।

जवाब- दुकान का जो भी सामान बेचा जाता है अगर वह निसाब को पहुंच रहा है तो उस माल पर जकात वाजिब है।

सवाल। मैंने नमाज शुरू की। अगली लाइन में एक साहब ने ऐसी शर्ट पहन रखी थी जिस पर एक जुमला लिखा था, बिना किसी इरादे के उस पर नजर पड़ गयी और में ने उस जुमले को समझ भी लिया तो क्या मेरी नमाज हो जायेगी।

जवाब- नमाज हो जायेगी।

सवाल- एक दुकानदार की एक चीज कई महीनों से नही बिक रही है और वह इसी चीज को जकात में देना चाहता है तो क्या उसकी जकात अदा हो जायेगी।

जवाब- खराब चीज जकात में देना खिलाफ है लेकिन इस चीज की कीमत बाजार में जितनी होगी उतनी ही जकात अदा होगी।

सवाल- एक शख्स को जकात की अदायेगी में शक हो गया तो क्या हुक्म है।

जवाब- बेहतर है कि दोबारा जकात अदा करें।

सवाल- अगर बेवा औरत किसी दूसरे शौहर से निकाह कर ले तो किया पहले शौहर के माल से उसको हिस्सा मिलेगा।

जवाब- जी हां! मुसलमानों में आम तौर पर रिवाज है कि बेवा औरत अगर निकाह न करे तो उसको हिस्सा देते हैं और अगर वह निकाह कर ले तो फिर उसको शौहर के माल से महरूम कर देते हैं, ऐसा करना सख्त गुनाह है।

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शिया सवाल-जवाब

सवाल- क्या हज के लिए रखे गये पैसे पर खुम्स देना अनिवार्य है।

जवाब- हज और जियारत पर खर्च होने वाले पैसे पर खुम्स देना अनिवार्य है।

सवाल- क्या रोजा मगरिब की अजान खत्म होने के बाद ही खोला जा सकता है।

जवाब- समय पूरा हो जाए तो रोजा खोला जा सकता है। चाहे अजान हो या ना हो अजान एक बुलावा है और एक पहचान है कि अब नमाज का समय हो गया है अथवा अगर कोई व्यक्ति ऐसी जगह है जहॉ अजान नही होती है या मस्जिद नही है तो वहा समय देखकर रोजा खोल सकता है।

सवाल- क्या कोई पिता अपने पुत्र को जकात का पैसा दे सकता है।

जवाब-जकात का पैसा पुत्र को उस समय दिया जा सकता है जब पुत्र कर्जदार हो और उसका खर्च पूरा ना होता हो।

सवाल- अगर कोई व्यक्ति अपनी बचत से खुम्स का पैसा नही देता है तो उसका क्या हुक्म है।

जवाब- अगर कोई व्यक्ति खुम्स का पैसा नही देता है तो उसका पैसा पाक नही होता है और वह सैयदो और इमामें जमाना अस। के हक का लुटेरा कहा जाएगा।

सवाल- फितरा कैसे दिया जाएगा और इस वर्ष फितरे की रकम क्या है।

जवाब-एक साअ। है जो तीन किलो होता है मनुष्य रोज जो खाता है उसकी किमत भी दे सकता है चुंकि रोज इस्तेमाल में आटा आता है इस लिए उसकी किमत 75 रुपए होगी खजूर और किशमिश भी दे सकते हैं।

कोट

माहे रमजान सबसे मुकद्दस महीना होता है। इस महीने में किया गया अच्छे कामों का सवाब भी 70 गुना मिलता है क्योंकि कोरोना नामक वबा फैली हुई है इसलिए सभी को गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और दुआ करें कि यह संकट जल्द दूर हो।

आरिफ मोहम्मद खान, लालबाग

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सुन्न्‍‌ाी हेल्पलाइन

लोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान इन नंबरों 9415023970, 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 पर पूछ सकते हैं।

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शिया हेल्पलाइन

महिलाओं के लिए हेल्प लाइन नंबर 6386897124 है। जबकि शिया हेल्प लाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।