लखनऊ (ब्यूरो)। भारतेंदु नाट्य अकादमी के संस्थापक निदेशक सुप्रसिद्ध रंगकर्मी एवं शिक्षाविद पद्मश्री राज बिसारिया का लंबी बीमारी के चलते 88 वर्ष की उम्र में शुक्रवार को निधन हो गया। उनके निधन की खबर आते ही कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई। करीब तीन साल पहले उनकी एंजियोप्लास्टी की गई थी। बीते कुछ वक्त से उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था।

एलयू में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे

लखीमपुर खीरी में 10 नवंबर 1935 को जन्मे राज बिसारिया एक निर्देशक, निर्माता, अभिनेता और शिक्षाविद थे। प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा उन्हें उत्तर भारत में आधुनिक थिएटर का जनक कहा जाता है। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। वह अंग्रेजी विभाग में प्रोफेसर भी रहे। 1962 में एलयू में थिएटर ग्रुप बनाया और 1966 में थिएटर आर्ट्स वर्कशॉप की स्थापना की। उसके बाद भारतेंदु नाट्य अकादमी के संस्थापक निदेशक बने। उन्होंने अकादमी में 23 सितंबर 1975 से 10 सितंबर 1989 तक अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने अंग्रेजी नाटकों से रंगमंच को एक अलग पहचान दी। हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही माध्यमों से रंगमंच को समृद्ध किया।

उनके जैसा कोई नहीं

पुनीत अस्थाना, पूर्व निदेशक, बीएनए ने बताया कि मेरे लिए राजसाहब केवल एक गुरु ही नहीं बल्कि एक मूर्तिकार की तरह थे। जिन्होंने मुझे थिएटर की मिट्टी से गढ़ा। आज मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं का रोपा हुआ वृक्ष हूं। थिएटर में मुझको संस्कारित करने में उनका बहुत बड़ा योगदान है। राज साहब से मेरा पहला परिचय 1976 में बीएनए में प्रवेश के समय हुआ था। उसके बाद तो उन्होंने मुझे अपने बच्चे की तरह पाल पोसकर बड़ा किया। उनका जाना मेरे लिए पर्सनल लॉस है। उनकी कमी कोई पूरा नहीं कर सकता। वरिष्ठ रंगकर्मी सीमा मोदी ने बताया कि राज बिसारिया सर मेरे कई शोज में आए थे। जब 2017-18 में प्ले कर रही थी तब उनसे मिलने की ठानी। उस दौरान बीएनए के एक टीचर से उनका नंबर मांगा, लेकिन उन्होंने दिया नहीं। किसी तरह उनका नंबर लेकर फोन मिलाया और मिलने पहुंची। जब उनको नंबर न देने की बात बताई तो कहा कि कई लोग जलन के कारण ऐसा करते हैं। उन्होंने मुझे गाइड किया और मैंने काफी कुछ सीखा उनसे। अभी हाल ही में मुलाकात हुई थी। उनकी मेमोरी बेहद शार्प थी। उनका निधन कला जगत के लिए बड़ी क्षति है।