60 से अधिक लोगों ने दो माह में लिया परामर्श

06 माह के दौरान बढ़ी स्मोकिंग की लत छोड़ने वालों की संख्या

50 फीसद युवा स्मोकिंग छोड़ने के लिए सजग

- कोरोना काल में तंबाकू-सिगरेट छोड़ने का इलाज करा रहे लोग

- इस लत को छोड़ने के लिए इलाज कराने वालों में यंगस्टर्स अधिक

anuj.tandon@inext.co.in

LUCKNOW: कोरोना वायरस सर्वाधिक लंग्स पर असर कर रहा है। सिगरेट और तंबाकू का सेवन करने वालों को संक्रमण का खतरा अधिक है। बार-बार डॉक्टर्स कह रहे हैं कि जो लोग स्मोकिंग करते हैं, उनके लंग्स कमजोर हो जाते हैं और उन्हें इस संक्रमण को लेकर अधिक सतर्कता रखनी होगी। कोरोना संक्रमण के डर के कारण बड़ी संख्या में यंगस्टर्स अपनी स्मोकिंग की लत को छोड़ रहे हैं। केजीएमयू में चल रहा तंबाकू निषेध क्लीनिक कोरोना के कारण बंद है, इसके बाद भी वहां रोज बड़ी संख्या में लोग फोन कर स्मोकिंग की लत छोड़ने के लिए परामर्श ले रहे हैं। बीते चार माह से यहां करीब 180 से अधिक लोग सिगरेट और तंबाकू छोड़ने का इलाज करा रहे हैं

लोग छोड़ रहे स्मोकिंग

रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि तंबाकू के कारण देश में हर साल 16 लाख और दुनिया में 70 लाख लोगों की जान जाती है। कोरोना के कारण लोग हेल्थ को लेकर अलर्ट हुए हैं और जनवरी और फरवरी माह से बड़ी संख्या में लोग तंबाकू छोड़ने के लिए ट्रीटमेंट ले रहे हैं। अच्छी बात यह है कि तंबाकू की लत छोड़ने का इलाज कराने वालों में सर्वाधिक संख्या 20 से 40 वर्ष की उम्र के बीच के लोगों की है। यहां संपर्क करने वाले मरीजों में करीब 50 फीसद संख्या इन्हीं की है।

पोस्टर से समझाते हैं

डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि जब भी कोई मरीज इस समस्या को लेकर आता है तो उससे सबसे पहले पूछा जाता है कि परिवार में और कौन-कौन तंबाकू या सिगरेट का सेवन करता है। इसके बाद मरीज को हम पोस्टर के माध्यम से उसे बताते हैं कि तंबाकू-सिगरेट उसके शरीर को किस तरह नुकसान पहुंचाते हैं।

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योग, ध्यान और प्राणायाम

डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि ट्रीटमेंट के दूसरे चरण में हम योग, ध्यान और प्राणायाम पर जोर देते हैं। मरीज को ताड़ासन, पश्चिमोत्तासन और पद्मासन जैसे आसन करने के लिए कहते हैं। इससे बॉडी में खिंचाव होता है, जिससे उसकी विल पॉवर बढ़ती है और विड्राल सिम्प्टम को ओवरकम करने में मदद मिलती है। इसके बाद मरीज से पेन या पेंसिल की नोक को देखते हुए ध्यान करने को कहा जाता है। अंत में प्राणायाम के तहत गहरी गहरी सांस लेना, कुछ समय के लिए रोकना और फिर छोड़ना की प्रेक्टिस कराई जाती है।

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साल भर रखते हैं नजर

डॉ। सूर्यकांत कहते हैं कि तंबाकू-सिगरेट छोड़ना आसान नहीं है। लोग कुछ दिन इसे छोड़ देते हैं लेकिन फिर इसका सेवन करने लगते हैं। ऐसे में हम यहां आने वाले मरीजों का सालभर तक फीडबैक लेते हैं। उनके परिवार के एक सदस्य का मोबाइल नंबर भी हमारे पास रहता है।

कोट

कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए लोग स्मोकिंग से दूरी बना रहे हैं। स्मोकिंग छोड़ने वालों में सर्वाधिक संख्या 20 से 40 वर्ष के बीच के लोगों की है।

डॉ। सूर्यकांत, केजीएमयू