- कलेक्ट्रेट में मानक से कम बाबू, ज्यादातर पड़े बीमार

- बाबुओं की कमी के चलते कलेक्ट्रेट आने वालों को परेशानी

LUCKNOW: शुगर, बीपी, हार्ट प्रॉब्लम, टेंशन ये हैं सरकारी विभाग की नब्ज समझे जाने वाले बाबुओं को घेरने वाली बीमारियां। कम से कम कलेक्ट्रेट के लिए तो ऐसा कहा ही जा सकता है। क्योंकि, काम के प्रेशर के चलते ज्यादातर बाबू बीमार पड़ रहे हैं। 172 पदों में से केवल 131 पर बाबू काम कर रहे हैं। उनमें भी आधे से ज्यादा बीमार है। लिहाजा, कलेक्ट्रेट आने वाले लोगों को अपने काम के लिए कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

छुट्टी के दिन भी काम

कलेक्ट्रेट में तैनात ज्यादातर बाबू बीमार है। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विजय वर्मा का कहना है कि बाबुओं की संख्या कम है और काम जरूरत से भी ज्यादा है। वर्क प्रेशर के चलते कर्मचारी छुट्टी के दिन भी काम करते है और फिक्स टाइमिंग के अलावा एक्ट्रा टाइम भी दे रह है। जिसके चलते कई तरह की बीमारियों से ग्रस्ति हो गये है। ज्यादातर कर्मचारी शुगर, बीपी और हार्ट प्रॉब्लम के शिकार हो रहे है।

कलेक्ट्रेट में बाबुओं की कमी के चलते पब्लिक को परेशानी उठानी पड़ रही है। दूर दराज इलाकों से आने वाले लोगों को कलेक्ट्रेट के कई चक्कर लगाने पड़ते है। एक दिन के काम के लिए कभी कभी एक-एक सप्ताह चक्कर लगाने पड़ता है। कलेक्ट्रेट में मुंशरिफ, हो या फिर अन्य विभाग हर विभाग में लोगों को चक्कर लगाने पड़ते है। पब्लिक की परेशानी को लेकर आई नेक्स्ट ने जब इसकी तहकीकात की तो सामने आया कि कलेक्ट्रेट में बाबुओं की बड़े पैमाने पर कमी है। जिसका हर्जाना पब्लिक को भुगतना पड़ रहा है।

कलेक्ट्रेट में बाबुओं की कमी

कलेक्ट्रेट में बाबुओं की बड़े पैमाने पर कमी है। करीब बीस वर्ष पहले के मानक के आधार पर बाबुओं के 172 पद सृजित है। जबकि वर्तमान में करीब 131 क्लर्क ही काम कर रहे है। जबकि ज्यादातर रिटायर हो चुके है और जुलाई महीने में तीन और बाबुओं का रिटायर्डमेंट है। कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विजय कुमार वर्मा का कहना है कि कर्मचारियों की नियुक्त अधीनस्थ चयन आयोग से होती है। जनवरी 2015 में ही रिक्त और इम्लाइमेंट लिस्ट जा चुकी है लेकिन अभी तक नई कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है।

पांच वर्ष पहले लगाया था चेकअप कैप

कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन उनकी हेल्थ को लेकर सजक नहीं है। उनके ऊपर वर्क प्रेशर है लेकिन उनकी सेहत को लेकर चिंता नहीं है। करीब पांच वर्ष पहले कलेक्ट्रेट कर्मचारियों के लिए हेल्थ कैंप लगाया गया था। जिसमें रूटीन चेकअप के साथ-साथ इलाज की भी व्यवस्था कराई गई थी।