लखनऊ (ब्यूरो)। अवैध निर्माणों पर कार्रवाई के लिए एलडीए की ओर से योजनाएं तो बनाई जाती हैैं, लेकिन हकीकत यह है कि जब अवैध निर्माण का पता लगता है, तो एलडीए के सामने सबसे बड़ी चुनौती संबंधित निर्माण का नक्शा तलाशने की होती है। निर्माणाधीन बिल्डिंग का नक्शा तो तुरंत मिल जाता है, लेकिन जब पुरानी बिल्डिंग सामने आती है, तो नक्शा खोजने में कई दिन लग जाते हैैं। कई मामलों में तो नक्शे मिलते ही नहीं हैैं, जिसकी वजह से कार्रवाई के लिए इंतजार बढ़ जाता है।

पहले था मैनुअल सिस्टम

दरअसल, पहले एलडीए में नक्शा पास करने के लिए मैनुअल सिस्टम प्रभावी था। इस सिस्टम के अंतर्गत ही नक्शा पास किए जाते थे और संबंधित निर्माण की फाइल तैयार कर स्टोर और नक्शा सेल में रखवाई जाती थी। जिससे साफ है कि एलडीए के पास नक्शा सेफ रखने के लिए कोई ऑनलाइन सिस्टम मौजूद नहीं था। अब यही व्यवस्था अवैध निर्माणों के लिए मददगार बनती जा रही है। दरअसल, अगर किसी अवैध निर्माण से जुड़े नक्शे की जरूरत पड़ती है और बिल्डिंग पुरानी होती है, तो नक्शा ढूंढने के लिए एलडीए कर्मियों को खासा पसीना बहाना पड़ता है। नक्शा न मिलने की स्थिति अवैध निर्माण के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है।

अब लागू है ऑनलाइन सिस्टम

अब एलडीए में ऑनलाइन सिस्टम लागू कर दिया गया है। जिसके बाद अब कोई भी निर्माण से जुड़ा नक्शा ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से ही स्वीकृत होता है। इसका फायदा यह है कि एलडीए की ओर से नक्शा संबंधी रिकॉर्ड भी आसानी से मेनटेन किया जाता है और जरूरत पडऩे पर तत्काल नक्शा रि-कॉल हो जाता है।

मिल नहीं रहे नक्शे

बादशाहनगर में एसएस कॉम्प्लैक्स में मंगलवार को आग लग गई थी। जिसके बाद अगले दिन एलडीए की टीम मौके पर पहुंची थी और नक्शे के माध्यम से मानकों की जांच करने की कवायद की गई थी। चूंकि बिल्डिंग पुरानी है, इस वजह से नक्शा तलाशने में खासी कवायद करनी पड़ रही है। नक्शा सामने आने के बाद सही तस्वीर सामने आ सकेगी। अब जरूर एलडीए की ओर से यह व्यवस्था की जा रही है कि जिन बिल्डिंग्स के नक्शे सामने आ रहे हैैं, उन्हें ऑनलाइन फीड किया जा रहा है, ताकि भविष्य में जरूरत पडऩे पर नक्शे की स्टडी तुरंत की जा सके।