लखनऊ (ब्यूरो)। किसी भी प्रतियोगी परीक्षा को कराने के लिए जिलाधिकारी लेवल पर डीआईओएस के माध्यम से स्कूलों को केंद्र बनाया जाता है। इन स्कूलों में ज्यादातर प्राइवेट स्कूल होते हैं। ऐसे में इन स्कूलों में प्रिंसिपल, शिक्षक और कर्मचारियों के बारे में पूरी जानकारी विभाग के पास नहीं होती है। इस बार टीईटी एग्जाम के लिए सेंटर बनने वाले स्कूलों के सभी शिक्षकों और कर्मचारियों की एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके आधार पर उनको सेंटर बनाया जाएगा। ताकि दोबारा से पेपर लीक होने की कोई संभावना को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके।

करीब 15 प्रतिशत तक कम हो जाएंगे केंद्र
टीईटी केंद्रों के परीक्षण और पुनर्निर्धारण के बाद केंद्रों की संख्या में 15 प्रतिशत तक की कमी होने की उम्मीद जताई जा रही है। शासन ने डीएम को निर्देशित किया कि वह अपने स्तर से केंद्रों का परीक्षण करा लें। अच्छी ख्याति के स्कूलों को ही केंद्र बनाया जाए। 28 नवंबर की परीक्षा के लिए जो केंद्र बनाए गए थे, उनमें काफी संख्या में वित्तविहीन स्कूलों को जिम्मेदारी दे दी गई थी।

कई जिलों में अनावश्यक केंद्र बनाएं गए थे
- प्रदेश तकरीबन एक दर्जन ऐसे जिले हैं जहां अनावश्यक केंद्र बनाए गए थे।
- ऐसे स्कूलों को केंद्र बना दिया गया था जहां 500 कैंडीडेंट्स को भी बैठने का इंतजाम नहीं था। इसके कारण केंद्रों की संख्या बढ़ गई थी।
- वहीं कुछ बड़े स्कूलों में कम स्टूडेंट्स आमंत्रित किए गए थे। यही कारण था कि प्राथमिक लेवल के एग्जाम के लिए 2554 केंद्र बनाए गए थे।
- अब नए सिरे से केंद्रों के निर्धारण में डिग्री कॉलेज, यूनिवर्सिटी और दूसरे बोर्ड के अच्छे स्कूलों को भी शामिल करने पर केंद्रों की संख्या 15 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद जताई जा रही है।