- अभी सिर्फ अमेरिका और यूरोपीय देशों में है कोर्स

- कान के ट्यूमर और सुनने की क्षमता का होगा सटीक इलाज

LUCKNOW: आपको जल्द राजधानी में सुनने की क्षमता कम होने, कान में ट्यूमर तो दिमाग के बेहद करीब हो आदि बीमारियों का सटीक इलाज मिल सकेगा। इस तरह की बीमारियों के इलाज के लिए पीजीआई में तीन वर्ष का न्यूरो ऑटोलॉजी कोर्स शुरू किया जाएगा। खास बात यह है कि देश में इस तरह का कोर्स अभी कहीं नहीं चल रहा है। यह जानकारी पीजीआई के निदेशक प्रो। आरके धीमान ने बुधवार को न्यूरो सर्जरी विभाग में व‌र्ल्ड हेयरिंग डे पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम के दौरान दी।

हजार में हर छह में दिक्कत

प्रो। अमित केशरी ने बताया कि देश में हर एक हजार बच्चों में छह में सुनने की समस्या होती है। इन बच्चों में या तो इंप्लांट की जरूरत पड़ती है या फिर हियरिंग एड से काम चल जाता है। अगर यह प्रॉब्लम एक साल से अधिक उम्र के बच्चे में होती है तो उसके इलाज की सफलता दर अधिक होती है। प्रो। अमित केशरी ने बताया कि काक्लियर इंप्लांट लगाने के लिए विकलांग कल्याण विभाग के अलावा दूसरे स्त्रोतों से सहायता मिल रही है। इलेक्ट्रानिक मशीन के इंपलांट के बाद बच्चे सुनने और बोलने लगे हैं और सामान्य बच्चों की तरह स्कूल भी जा रहे हैं।

बाक्स

कौन हैं न्यूरो ओटोलॉजिस्ट

ईएनटी विभाग के एचओडी प्रो। अमित केशरी ने बताया कि फिलहाल न्यूरो ओटोलॉजी न्यूरो सर्जरी विभाग के अंतर्गत ही चलाया जा रहा है। न्यूरो ओटोलॉजिस्ट कान और ब्रेन दोनों के मरीजों को देखते हैं। कान की नसें सीधे दिमाग से जुड़ी होती हैं। जल्द ही इसे लेकर एकेडमिक कोर्स शुरू करने की तैयारी है। तीन वर्ष का ऐसा कोर्स फिलहाल देश में कहीं नहीं चलाया जा रहा है। कुछ जगहों पर सिर्फ सर्टिफिकेट कोर्स चल रहे हैं। ये कोर्स अमेरिका और यूरोप के ही कुछ देशों में चलाया जा रहा है।