- लीवर की गंभीर समस्या से पीडि़त, मेदांता में चल रहा इलाज

- हॉकी यूपी, यूपी ओलंपिक एसोसिएशन ने बढ़ाया मदद का हाथ

LUCKNOW: मो। शाहिद। हॉकी प्रेमियों के दिल में ये नाम दशकों से बसा हुआ है। विपक्षी टीम की रक्षा पंक्ति को भेदने वाला ये फॉरवर्ड लाइन प्लेयर आज जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। मो। शाहिद लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और मेदांता में उनका इलाज चल रहा है। राजधानी में मो। शाहिद के लिए दुआएं का दौर चल रहा है। साथ ही यूपी हॉकी और यूपी ओलंपिक एसोसिएशन ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ा दिए हैं।

लखनऊ से चमका शाहिद का सितारा

वाराणसी के रहने वाले मो। शाहिद ने केडी सिंह बाबू हॉस्टल में 1978 में एडमीशन लिया था और 1979 में ही वो भारतीय हॉकी टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे। एक साल बाद 1980 वह मास्को ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम में शामिल हुए। भारतीय हॉकी टीम ने इस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता। ये वही साल था, जब शाहिद हॉकी की दुनिया में एक सनसनी की तरह छा गए। उन्हें ड्रिबलिंग का मास्टर माना जाता था।

लीवर की गंभीर बीमारी

मो। शाहिद के पेट में गंभीर दर्द था, जिसके बाद जांच में पता चला कि उन्हें लीवर की गंभीर बीमारी है। जिसके बाद पहले उनका मेडिकल कॉलेज वाराणसी में इलाज चल रहा था। हालात, स्थिर ना होने पर उन्हें अब मेदांता में भर्ती कराया गया है।

मो। शाहिद की हरसंभव मदद के लिए यूपी हॉकी पूरी तरह तैयार है। वो एक शानदार खिलाड़ी रहे हैं। हमारी यही दुआ है कि वह जल्द से जल्द स्वस्थ्य हों और प्रदेश के हॉकी खिलाड़ी उनसे हुनर सीख सकें।

डॉ। आरपी सिंह, सचिव, हॉकी यूपी

मो। शाहिद ने भारतीय हॉकी को नए तेवर दिए थे। ऐसे खिलाड़ी देश के लिए अनमोल हैं। हम इस मुश्किल घड़ी में उनके साथ हैं और हर तरह की मदद को तैयार भी। भगवान उन्हें जल्द स्वस्थ करें।

टीपी हवेलिया, उपाध्यक्ष, यूपी ओलम्पिक संघ

गेंद शाहिद की हॉकी से चिपक सी जाती थी। शाहिद के साथ देश के लिए खेल चुके सैयद कहते हैं कि उसे रोकना नामुमकिन था, वो गोल करके ही दम लेता था।

सैयद अली, पूर्व ओलंपियन

मास्को ओलंपिक में जिसने

मास्को ओलम्पिक में जिसने भी उनका खेल देखा, वह दीवाना होगा। फील्ड में बॉल उनके कब्जे से छीनना आसान नहीं था।

रविंदर पाल,

पूर्व ओलंपियन

ये हैं शाहिद की उपलब्धियां

1980 - सर्वश्रेष्ठ फॉरवर्ड (चैंपियंस ट्रॉफी)

1980 - गोल्ड मेडल (मास्को ओलंपिक)

1980-81- अर्जुन अवार्ड

1986- पद्मश्री

1986- एशियाई ऑल स्टार टीम के सदस्य