- जनसंख्या के अनुसार 32 हजार टेस्ट होने चाहिए, जबकि हो रहे सवा लाख

- पॉजिटिविटी रेट भी सिर्फ 4.8 प्रतिशत, जो मानकों पर पूरी तरह खरा

LUCKNOW:

यूपी में कोरोना वायरस की जांच प्रतिदिन मानक से चार गुना अधिक की जा रही है। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद के मुताबिक हर दिन प्रति एक लाख व्यक्ति पर कम से कम 14 सैंपल अवश्य जांचे जाने चाहिए। यूपी की जनसंख्या के हिसाब से इस मानक के अनुसार प्रतिदिन 32 हजार सैंपल की जांच होनी चाहिए, जबकि यहां इससे करीब चार गुना अधिक जांच हो रही है। प्रदेश में फिलहाल 1.2 से 1.3 लाख के बीच नमूने रोज जांचे जा रहे हैं।

46.74 लाख लोगों की टेस्टिंग

अगस्त में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद भी यूपी का पॉजिटिविटी रेट कम है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार पॉजिटिविटी रेट पांच फीसद होना चाहिए, जबकि यूपी में एक से 23 अगस्त तक के आंकड़ों के अनुसार पॉजिटिविटी रेट केवल 4.8 फीसद है, जो मानकों पर पूरी तरह खरा है। प्रदेश में सोमवार को 1,21,553 लोगों की कोरोना जांच की गई, जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 46.74 लाख लोगों की जा चुकी है। प्रदेश में अब कोरोना के एक्टिव केस 49,288 हैं, जिनमें से 24,482 संक्रमित लोगों ने होम आइसोलेशन की सुविधा ले रखी है। वहीं निजी अस्पतालों में 2134 रोगी और होटलों में 269 लोग आइसोलेट हैं। बाकी कोविड-19 के सरकारी अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं।

स्वाद व गंध न आए तो भी कोरोना के लक्षण

अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद के अनुसार खांसी, बुखार व सांस फूलने के साथ ही किसी व्यक्ति को यदि खाने में कोई स्वाद नहीं आ रहा और सूंघने पर गंध भी नहीं आती तो यह कोरोना का लक्षण हो सकता है। ऐसे में पर्याप्त सावधानी बरतें।

62,744 हेल्पडेस्क से पौने सात लाख लोग चिन्हित

यूपी में अब सरकारी व निजी संस्थानों में कोरोना की 62,744 हेल्पडेस्क स्थापित हो चुकी हैं। यहां इंफ्रारेड थर्मामीटर व पल्स ऑक्सीमीटर की भी व्यवस्था है। अभी तक इन हेल्पडेस्क के माध्यम से 6.75 लाख ऐसे लोग चिन्हित किए गए, जिनमें कोरोना जैसे लक्षण पाए गए हैं। इनमें से अधिकांश लोगों की कोरोना जांच भी हो चुकी है।