लखनऊ (ब्यूरो)। मंगलवार को अवध महोत्सव में अवधी व्यजंनों की महक छाई रही। वहां आए लोगों को स्वादिष्ट मेवा खीर, गन्ने का रसावल सहित बहुत सी चीजों का स्वाद चखने को मिला। वहीं, कवियों के पाठ में कहीं व्यंग्य तो कहीं सीख भी मिली। इसके अलावा लोगों ने कभी शहर की शाही सवारी समझे जाने वाले तांगे की दौड़ का भी लुत्फ लिया। महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या में संगीत के कई रूप दिखाई दिए। बुधवार को महोत्सव का अंतिम दिन है। प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह समापन समारोह के मुख्य अतिथि होंगे।

काव्य पाठ का हुआ आयोजन

आयोजन के दौरान शहर के विख्यात हास्य कवि और इस्माईल मैन के उपनाम से मशहूर सर्वेश अस्थाना के संचालन में हुए कवि सम्मेलन में कहीं व्यंग्य के तीर चले तो कहीं नेक सलाह भी दी गई। कवि विनोद मिश्रा ने हम समझ गए, कानून बहुत कानूनी है, कवियत्री सुफलता तिवारी ने ली पीली चुनरी उड़ाए रही गुडिय़ा ने सुनाया। इसके अलावा प्रदीप महाजन, जगजीवन मिश्रा, डॉ। सुधा मिश्र ने काव्य पाठ किया।

गजल का गुलदस्ता पेश किया

शहर की दास्तानगोई करने वालीं युवा कलाकार अरशाना आनंद ने दर्शकों के सामने कुछ खास अंदाज में अपना परिचय दिया। ये एलीट अफसानों का शहर अदीबों का शहर उनके यारानों का शहर, जिंदगी, जिंदादिली से भरपूर चायखानों का शहर इस खूबसूरत नज्म के साथ अरशाना आनंद ने अपनी किस्सागोई का आगाज किया। वहीं बिहार के बांका शहर से आए गजल गायक कुमार सत्यम ने ठुमरी बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए पेश किया तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर उनका इस्तकबाल किया। इसके अलावा हमरी अटरिया पे, शोर इस दर्जा मचाने की जरूरत क्या है गाया तो लोगों को मजा आ गया। इसके अलावा नई दिल्ली से आये त्रिभुवन महाराज और रजनी महाराज ने राग देश पर आधारित जाति आरोहम प्रस्तुत किया। जाति आरोहम बंदिश जातियों का क्लस्टर है। यह भरतनाट्य और कथक का संगम होता है। इसके अलावा नादरगंज में पंतग प्रतियोगिता हुई। वहीं परिसर में चल रही अवधी परिधान प्रतियोगिता में आए लोगों का पूर्वा अभयास हुआ। इसका फाइनल अंतिम दिन बुधवार को होगा।