- रोड पर डस्टबिन और सेनेटाइजर की बोतल तक चुराने का वीडियो हो रहा वायरल

- ऑनलाइन कोरोना इलाज के नाम पर की जा रही ठगी

LUCKNOW: देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों से लोग घबराए हुए हैं। ऐसे समय में भी साइबर अपराधी लोगों को इलाज के नाम पर ठगने से बाज नहीं आ रहे हैं। यहीं नहीं आपदा का फायदा उठाकर कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान रोड किनारे डस्टबिन और सेनेटाइजर की बोतल चुराने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। कभी अस्पताल में बेड तो कभी ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के नाम पर जालसाज तीमारदारों को हजारों रुपये का चूना लगा रहे हैं। ऐसे ठगों से सतर्क रहने के लिए साइबर क्राइम सेल ने एडवाइजरी जारी कर लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।

लोगों को किया जा रहा अवेयर

लोगों से कोरोना की दहशत के बीच अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ साथ साइबर अपराधियों से ठगी से बचने की भी जरूरत है। किसी भी अस्पताल की वेबसाइट पर जाने के लिए गूगल पर सर्च करने से बचें क्योंकि गूगल पर सर्च करते ही जालसाजों द्वारा बनाए गए अस्पताल के फर्जी मोबाइल नंबर मिल रहे हैं। वह मरीज को अस्पताल का प्रतिनिधि बनकर अस्पताल में बेड के नाम पर बुकिंग एमाउंट अपने खातों में ट्रांसफर करवा रहे हैं। ऐसे जालसाजों से बचने के लिए लोगों को सीधे अस्पताल की वेबसाइट को लॉगइन करना चाहिए। इससे साइबर जालसाजों के झांसे से बचा जा सकता है।

ऑफ लाइन चोरी

केस नंबर एक।

डस्टबिन चुरा ले गये

मडि़यांव थाना स्थित फैजुल्लागंज के हनुमंतपुरम 2 में नगर निगम ने स्वच्छता अभियान के तहत रोड किनारे डस्टबिन लगाए थे। लॉकडाउन में रात के अंधेरे में एक्टिवा गाड़ी से आए दो युवक रोड किनारे लगे पीले रंग के डस्टबिन को निकालकर अपनी गाड़ी में लाद कर चलते बने। हालांकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी कि चंद कदमों की दूरी पर लगे सीसीटीवी कैमरे में उनकी हरकत कैद हो गई। सोशल मीडिया पर यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है।

केस नंबर दो।

एटीएम बूथ से उड़ाई सेनेटाइजर की बोतल

सोशल मीडिया पर लॉकडाउन के दौरान एक और वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई कि वीडियो किस एरिया में लगे एटीएम बूथ का है। एक शख्स बूथ में पैसा निकालने आया। कोविड 19 के नियम के तहत एटीएम बूथ पर बैंक ने सेनेटाइजर की बोतल स्टैंड पर लगाई थी ताकि लोग पैसा निकालते समय खुद को सेनेटाइज कर सकें। उस शख्स ने एटीएम से पैसा निकालने के बाद एटीएम बूथ में रखी सेनेटाइजर की बोतल निकाल कर अपने बैग में रख ली और चलता बना।

ऑनलाइन ठगी के केस

केस नंबर एक।

बेड के नाम पर ठगी रकम

गोमतीनगर के विरामखंड में रहने वाले नीरज कुमार की दादी कोरोना संक्रमण से जूझ रही थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए गूगल से उन्होंने मेदांता का संपर्क नंबर तलाशा। इस नंबर पर कॉल करने के बाद नीरज से बेड की एडवांस बुकिंग के नाम पर ऑनलाइन 15 हजार रुपये ठग लिए गए। इस संबंध में नीरज ने यूपी कॉप ऐप पर शिकायत दर्ज करवाई है।

केस नंबर दो।

सिलिंडर के नाम पर 20 हजार ठगे

इंदिरानगर के बसंत कुमार को अपनी मां के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर चाहिए था, जिसके लिए उन्होंने ओएलएक्स पर सर्च किया। वेबसाइट पर एक युवक ने जंबो सिलिंडर 20 हजार रुपये में बेचने के लिए अपलोड कर रखा था, जिसे देखने के बाद बसंत ने जालसाज से संपर्क कर उसे रकम ट्रांसफर कर दी, लेकिन बाद में उन्हें अपने साथ ठगी का अहसास हुआ।

केस नंबर तीन।

अकाउंट से उड़ाये एक लाख

गोमतीनगर निवासी डॉ। विजय सेठ का निरालानगर स्थित बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में सेविंग अकाउंट है। इंस्पेक्टर गोमती नगर केशव कुमार तिवारी ने बताया कि 22 अप्रैल को डॉ। विजय के पास एक नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को वैक्सीनेशन अधिकारी बताया। उसने फोन पर ही उनके बारे में डिटेल लेकर कहा कि वह एक फार्म भर रहा है। इसके बाद बैंक खाते के बारे में जानकारी की। कुछ देर बाद खाते से एक लाख रुपये निकल गए।

केस नंबर चार

गोमतीनगर थाने में दर्ज कराई रिपोर्ट

गोमतीनगर निवासी विजय का एसबीआई बैंक में अकाउंट है। उनके मौसा मौसी को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है दूसरी डोज 22 अप्रैल को लगनी थी, लेकिन वह लोग कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अस्पताल जाने से घबरा रहे थे। विजय ने अस्पताल में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के लिए गूगल पर विभूतिखंड स्थित प्राइवेट अस्तपाल का नंबर सर्च किया। अस्पताल के नाम से बनी साइट पर एक नंबर आया, जिस पर विजय ने काल की, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ। कुछ देर बाद उनके पास अंजान नंबर से कॉल आई फोन करने वाले व्यक्ति ने रजिस्ट्रेशन कराने के लिए विजय के मोबाइल नंबर पर एक लिंक भेजा। साथ ही तीन रुपये जमा करने के लिए कहा। लिंक पर क्लिक करते ही उनके पास एक के बाद एक 6 मैसेज आए और उनके एकाउंट से करीब एक लाख रुपये उड़ गए थे। विजय ने गोमती नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।

साइबर क्रिमिनल्स इस तरह कर रहे फ्रॉड

ऑनलाइन फ्रॉड

घोटालेबाज फर्जी वेबसाइट, ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया अकाउंट और ईमेल बनाते हैं। वे यहां से मेडिकल प्रोडक्ट बेचने और देने का दावा करते हैं। साथ ही वह पीडि़तों को ऑनलाइन बैंक ट्रांसफर के जरिए भुगतान करने के लिए कहते हैं और इस तरह से अपनी ठगी का शिकार बना लेते हैं।

टेलीफोन फ्रॉड।

अस्पताल में इलाज करा रहे किसी कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के रिश्तेदार को मैसेज भेजकर उन्हें पैसे की जरूरत होने की जानकारी देते हैं। इस तरह वो कॉल कर लोगों से पैसे मांगते हैं।

फिशिंग।

धोखाधड़ी की अगली कड़ी में ईमेल, महामारी से संबंधित लिंक अपराधियों द्वारा स्वास्थ्य अधिकारियों को दावा करके भेजे जाते हैं, जिसका उद्देश्य पीडि़तों को एक नए वेबपेज से जोड़ना होता है और वे इस तरह ईमेल पता और पासवर्ड के साथ लॉगिन करवाते हैं। स्कैमर्स तब संवेदनशील जानकारी का उपयोग करने के लिए अपनी क्रेडिट का उपयोग करते हैं और पैसे चोरी करते हैं।

इसका रखे ध्यान

1. संदिग्ध ईमेल खोलने और सोशल मैसेजिंग ऐप, ईमेल इत्यादि पर प्रसारित असत्यापित कोरोना वायरस से संबंधित लिंक पर क्लिक करने से बचें।

2. सोशल मीडिया और बैंकिंग गतिविधियों के लिए मजबूत पासवर्ड और कई स्टेप के प्रमाणीकरण विकल्प को चुनें।

3. अपने सॉफ्टवेयर को एंटी वायरस सॉफ्टवेयर सहित अपडेट रखें।

4. ऑनलाइन कैसे सुरक्षित रहा जाए इस बारे में अपने परिवार, विशेषकर बच्चों को बताएं।

5. कोरोनो वायरस के संक्रमितों के लिए कोई भी दान करने से पहले चैरिटी फंड के बारे में मालूम करें।

6. अगर आप पीडि़त हो जाते हैं तो तुरंत साइबर पुलिस को सतर्क करेंड

साइबर क्राइम सेल ने दिया सुझाव

साइबर क्राइम सेल के प्रभारी विवेक रंजन राय ने सुझाव दिया कि कोई भी व्यक्ति अपना ओटीपी, आधार कार्ड नंबर किसी से साझा न करें। भारत सरकार की कोई भी संस्था या बैंक आपसे फोन, ईमेल आईडी पर ओटीपी नहीं मांगता है। ड्रग अथॉरिटी ऑफ इंडिया नाम से कोई भी संस्था भारत में कार्य नहीं करती है। केवल ड्रग कंट्रोलर जरनल ऑफ इंडिया ही भारत में कोविड 19 की वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए आधिकारिक संस्था है। कोरोना टीकाकरण के रजिस्ट्रेशन के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। कोई रजिस्ट्रेशन या टीकाकरण के लिए राशि मांगता है तो उसकी शिकायत www.cybercrime.gov.in पर कर सकते हैं।