- आरोपी को जेल भेजने से पहले जमा तलाशी की रकम डकार गए

- बाजार में वसूली के मामले में चौकी इंचार्ज समेत पांच पुलिस कर्मी लाइन हाजिर

LUCKNOW : अपराधियों पर लगाम लगाने, लखनवाइट्स को स्मार्ट पुलिसिंग की सौगात देने को राजधानी में पुलिस कमिश्नरेट लागू की गई। इसका असर भी दिख रहा है, लेकिन कुछ पुलिसकर्मी हैं कि अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। वह पुलिस कमिश्नरेट की साख पर बटा लगाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। ऐसे ही दो मामले सामने आये हैं। सोशल मीडिया पर मामले के वायरल होने पर अधिकारियों ने इन वसूलीबाज पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया।

हर्जाना वसूलने में भेजा था जेल

मडि़यांव के तेज सिंह 5 फरवरी को काकोरी थाना क्षेत्र स्थित नर्सिग होम में अपने दोस्त की बीमार मां को देखने जा रहे थे। दुबग्गा चौराहे पर हाफडाला ने उसकी स्कूटी में टक्कर मार दी थी। इस दौरान लोगों की भीड़ मौके पर जमा हुई थी और लोगों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने तेज सिंह को पकड़ लिया था। पुलिस ने तेज सिंह को 1200 रुपये की वसूली करने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ धारा 386 के तहत कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया था।

जमा तलाशी की नहीं कोई इंट्री नहीं

तेज सिंह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उसे जेल भेजने से पहले जमा तलाशी की गई। आरोप है कि उसके पास5000 रुपए, हेडफोन और घड़ी थी। पुलिस ने जमा तलाशी के दौरान उसे अपने पास रख ली थी, लेकिन थाने की पहरेदारी पर तैनात पुलिसकर्मी ने उसके सामान की न तो लिखा पढ़ी (इंट्री) की और न ही माल खाने में सुरक्षित रखा। बल्कि पुलिस कर्मी ने उसे खुद अपने पास रख लिया।

मोबाइल मिला पर कैश व सामान गायब

आरोपी तेज सिंह जब 13 दिन बाद अपना सामान लेने थाने पहुंचा तो पुलिस ने उसे ठेंगा दिखा दिया। पीडि़त तेज ने बताया कि जब वह अपना स्मार्टफोन, पर्स और 5000 रुपए, घड़ी, हेड फोन लेने थाने पहुंचा तो पुलिस कर्मियों ने उसका मोबाइल तो दे दिया, लेकिन बाकी का सामान उसे नहीं दिया गया। जब पीडि़त ने सामान मांगा तो पुलिसकर्मियों ने कहा कि सामान जमा ही नहीं हुआ था।

डीसीपी की जांच में पाए गए दोषी

पुलिस की वसूली और तेज सिंह का वीडियो वायरल होने पर पुलिस सक्रिय हुई। पूरे मामले की जांच डीसीपी ने एसीपी से कराई। एसीपी की जांच में पुलिस कर्मी दोषी पाए गए। उन्होंने तेज सिंह की जमा तलाशी में निकला सामान और कैश गायब किया था। मामले में एसीपी की रिपोर्ट पर डीसीपी ने कांस्टेबल त्रिभुवन सिंह और रक्षापाल सिंह पर कार्रवाई करते हुए उन्हें लाइन हाजिर कर दिया।

चौकी इंचार्ज समेत पांच पुलिस कर्मियों पर गिरी गाज

पुलिस कमिश्नरेट पर दाग लगाने के मामले में कृष्णानगर पुलिस काकोरी पुलिस से एक कदम आगे रही। फिनिक्स पुलिस चौकी इंचार्ज समेत पांच पुलिस कर्मी वसूली के आरोप में लाइन हाजिर किए गए। उन पर फिनिक्स मॉल के पास मंगलवार को साप्ताहिक बाजार में वसूली का आरोप था। मामले की जांच डीसीपी सेंट्रल ने अपनी क्राइम टीम से कराई और जांच में दोषी मिलने चौकी इंचार्ज समेत पांच पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया।

क्राइम टीम ने किया पर्दाफाश

कृष्णनगर के फिनिक्स मॉल के पास मंगलवार को साप्ताहिक बाजार लगती है। यहां दुकानें जिला प्रशासन के निर्देश और मानकों पर लगती हैं। यहां लगने वाली दुकानों की संख्या फिक्स होती है। डीसीपी सेंट्रल के पास शिकायत पहुंची कि इन दुकानों से पुलिस की शह पर कुछ लोग वसूली कर रहे हैं। डीसीपी सेंट्रल सोमेन वर्मा ने अपनी क्राइम टीम की मदद से बाजार में जबरन वसूली करने वाले दीपू पांडेय, शिवा कश्यप, मो। नईम, अनुज सिंह, अंकज वर्मा, टिल्लू राजपूत और मो। रेहान को गिरफ्तार किया। उन्हें गिरफ्तार करने वाली टीम में फिनिक्स चौकी इंचार्ज सौरभ तिवारी को फर्द में शामिल किया गया, जिनकी शह पर वसूली की जा रही थी।

गिरफ्तारी फर्द में नाम और फिर लाइन हाजिर

डीसीपी सेंट्रल की जांच में चौकी इंचार्ज फिनिक्स सौरभ तिवारी के साथ-साथ हेड कांस्टेबल नवनीत शुक्ला, मो। खालिद, जय शंकर पांडेय, कांस्टेबल रिंकू यादव और उदय भान को लाइन हाजिर कर दिया गया। कृष्णा नगर पुलिस ने साप्ताहिक बाजार में वसूली करने वाले जिन सात आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है, उन गिरफ्तारी की फर्द में चौकी इंचार्ज को भी शामिल किया गया था। रात में गिरफ्तारी फर्द में शामिल चौकी इंचार्ज सुबह लाइन हाजिर हो गए।

आलमबाग में भी वसूली की शिकायत

मानकनगर के भरत दीक्षित को तीन दिन पहले पानी के बताशे वाले के साथ मारपीट के आरोप में पकड़ा गया था। पुलिस से शिकायत होने पर दोनों पक्ष आलमबाग थाने पहुंचे। जहां कुछ देर बाद दोनों के बीच लिखित समझौता भी हो गया। हालांकि इससे पहले पुलिस ने भरत दीक्षित की जमा तलाशी ली, जिसमें 16 हजार से ज्यादा कैश रुपये पुलिस ने निकाल लिये। समझौता होने के बाद जब भरत ने अपने पैसा वापस मांगा तो थाने में मौजूद पुलिस कर्मी ने उसे पीट दिया और 151 की कार्रवाई कर दी। जमानत पर छूट कर लौटा भरत जब अपना पैसा लेने थाने पहुंचा तो उसे आधी रकम थमा दी गई। जब उसने मामले की शिकायत उच्च अधिकारियों से की तो पुलिस कर्मियों ने मात्र 13 हजार रुपये देकर उसे चलता कर दिया। तीन हजार रुपये फिर भी डकार गए।