लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू की एचआरएफ दवा के अवैध तौर पर ओपन मार्केट में बिकने के मामले की जांच में तेजी आई है। शुरुआती जांच में एक स्टोर पर सबसे ज्यादा गड़बड़ी मिली है। वहीं, इनवेंट्री मैनेजमेंट के सभी पर्चों का ऑडिट कराया जा चुका है। एचआरएफ सेंटर की सुरक्षा पर भी बड़ा सवाल खड़ा हुआ है, क्योंकि यहां स्टोर तक में संविदा कर्मचारी तैनात हैं। दवा की निगरानी से लेकर मरीजों को बेचने तक का काम संविदा कर्मचारी करते हैं। हालांकि, अधिकारी जल्द खुलासा करने का दावा कर रहे हैं।

एक स्टोर में मिली सर्वाधिक गड़बड़ी

मामले को लेकर जांच लगातार जारी है, जिसके तहत इनवेंट्री मैनेजमेंट के तहत सभी पर्चों का ऑडिट कराया जा चुका है, जिसमें एक सेंटर पर सर्वाधिक गड़बड़ी मिली है। वीसी के सख्त आदेश हैं कि किस स्टोर से कौन सा पर्चा आया, क्या डिमांड हुई, कौन सी दवा और कितनी मात्रा में भेजी गई, इन दवाओं का मूल्य क्या है आदि के बारे में जानकारी तलब कर ली है। साथ ही, किस दवा की कालाबाजारी सबसे ज्यादा हुई इसकी भी लिस्ट मांगी गई है, ताकि पता लगाया जा सके कि कौन सी दवा की डिमांड सबसे ज्यादा रही।

15 स्टोर हो रहे संचालित

केजीएमयू में सस्ती दर पर दवा उपलब्ध कराने के लिए एचआरएफ के 15 काउंटर मौजूद हैं। गरीब मरीजों को यहां 30 से 70 फीसदी तक कम कीमत पर जरूरी दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। पर ज्यादातर काउंटर की जिम्मेदारी संविदा कर्मचारियों के भरोसे है, जिनको 5 से 15 हजार रुपये तक सैलरी दी जाती है। इसमें फार्मासिस्ट, कम्प्यूटर ऑपरेटर समेत दूसरे संवर्ग के कर्मचारी शामिल हैं। यही नहीं, मुख्य स्टोर में नियमित कर्मचारियों की संख्या न के बराबर है। स्टॉक की निगरानी तक से भी नियमित कर्मचारी दूर हैं। ऐसे में निगरानी तंत्र कमजोर होने का फायदा संविदा कर्मचारी उठा रहे हैं। छह माह के दौरान तीन बार सस्ती दवा की कालाबाजारी का खुलासा हो चुका है। कार्रवाई के नाम पर संविदा कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा रहा है, ताकि गड़बड़ी पर जवाबदेही से नियमित कर्मचारियों को बचाया जा सके। ऐसे में इसकी सुरक्षा पर भी बड़ा सवाल है।

घपले की जड़ का पता नहीं

दवाओं की कालाबाजारी की मुख्य जड़ तक अफसर पहुंचने में नाकाम हैं। अधिकारियों का कहना है कि नियमित कर्मचारियों की तैनाती से काफी हद तक इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। वहीं, गड़बड़ी की दशा में आसानी से जड़ तक पहुंचा जा सकता है।

कौन सी दवा कितनी मात्रा में मांगी गई, कौन सी दवा सबसे ज्यादा भेजी गई समेत किसकी कालाबाजारी ज्यादा हुई, इसकी रिपोर्ट बनाने को कहा गया है। जल्द ही इसके बारे में पूरी जानकारी सामने आ जायेगी।

-डॉ। बिपिन पुरी, वीसी, केजीएमयू