- इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने जारी की एडवाइजरी

LUCKNOW:ईद उल फित्र मुसलमानों के लिए सर्वाधिक खुशी का दिन है। यह पवित्र दिन खुदा पाक ने रमजान के रोजों को पूरा करने पर मुसलमानों को ईनाम के तौर पर दिया है। मुसलमान इस दिन अपने खुदा पाक के शुकराने के तौर पर 2 रकआत नमाज ईद उल फित्र बहुत बड़ी जमाअत के साथ अदा करते हैं और खुशियां मनाते हैं। अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों और वतन के दूसरे भाइयों से मिलते हैं। दूसरी ओर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ के उपायों और सरकार के सुरक्षा बंदोबस्त के लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखने के इंतजाम किये गए हैं.् इसे देखते हुए ईद उल फित्र के संबंध में इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने एक एडवाइजरी जारी की है।

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गाइडलाइन एक नजर में

1- ईद उल फित्र सादगी से मनायी जाये।

2- नये कपड़े न सिलवायें बल्कि जो सबसे बेहतर कपड़ा हो उसी को पहन कर नमाज अदा करें।

3- ईद के बजट का 50 प्रतिशत गरीबों और जरूरतमंदों में बांटे।

4- ईद के दिन गुस्ल करना, अच्छे कपड़े पहनना, खुशबू तेल और सुर्मा लगाना और खुजूर खाना सुन्नत है, इसलिए इन चीजों का एहतिमाम किया जाए।

5- नमाज से पहले गरीबों को सदका जरूर दे दिया जाए जो इस साल एक आदमी का कम से कम पचास रुपये तय किया गया है।

6- जो 5 हजरात मस्जिद में रहते हैं वह मस्जिद ही में ईद की नमजा अदा करें।

7- जिस घर में 4 हजरात या इससे अधिक लोग हों वह ईद की जमाअत अपने घर पर पढ़ें।

8- अगर किसी घर में 4 हजरात से कम हों तो वह लोग 4 रकआत नफल नमाज-ए-चाश्त अकेले अकेले पढे़ं।

9- ईद की नमाज वाजिब है इसको 6 जायद तकबीरों के साथ अदा करें।

10- ईद की नमाज के बाद खुतबा पढ़ना सुन्नत है। अगर किसी को खुतबा याद न हो और खुतबे की कोई किताब भी न हो तो वह पहले खुतबे में सूरह फातिहा और सूरह अखलास पढ़ें और दूसरे खुतबे में दुरूद शरीफ के साथ कोई दुआ अरबी में पढ़े।

11- अपने अपने घर में रहें, किसी से मिलने न जायें।

12- ईद के दिन न किसी से हाथ मिलायें और न गले मिले।

13. अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को ईद की मुबारकबाद मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के जरिये से दें।

14- नमाज के बाद कोविड 19 के जल्द खात्मे, पूरी दुनिया में अमन कायम, अपनी और देश व कौम की तरक्की व खुशहाली, इज्जत व सरबुलंदी और भुखमरी के खात्मे के लिए दुआयें करें।

सुन्नी सवाल-जवाब

सवाल- ऐतिकाफ में सख्त बीमार हो गए हैं तो क्या मस्जिद के बाहर जा सकते हैं।

जवाब- ऐतिकाफ करने वाले के लिए बिना किसी शरअई जरूरत के बाहर निकलना जायज नहीं है। अगर वह सख्त बीमार है या उसकी जान को खतरा है तो मस्जिद से बाहर इलाज के लिए चला जाये लेकिन इससे ऐतिकाफ टूट जायेगा लेकिन ऐसी मजबूरी में जाने से गुनाह नहीं होगा और बाद में कजा करनी होगी।

सवाल- अगर कोई शख्स सालाना जकात न निकालता हो बल्कि हर माह कुछ न कुछ किसी गरीब को देता रहता हो और उसका हिसाब भी उसके पास हो तो किया यह रकम जकात में शामिल होगी।

जवाब- जकात की नियत से जो कुछ दिया है उतनी जकात अदा हो जायेगी।

सवाल- अगर ईद की नमाज में जायद तकबीरें कहना भूल जायें तो क्या नमाज हो जायेगी।

जवाब- अगर ईद की नमाज में जायद तकबीरें कहाना भूल जायें तो भी नमाज हो जायेगी। न दोबारा लौटालने की जरूरत है और न ही सज्दा सहू करने की।

सवाल- किया गसब और रिश्वत के माल पर जकात है, अगर नहीं है तो किया करें।

जवाब- इस रकम पर जकात नहीं है और मालिक और वारिसों का पता न लगे तो सब का सब माल खैरात कर देना चाहिए।

सवाल- अगर ईद की नमाज में हम उस वक्त शरीक हुए जबकि इमाम साहब रुकू में हैं तो क्या हुक्म है।

जवाब- अगर ईद की नमाज में आप उस वक्त शरीक हुए हैं जबकि इमाम साहब रुकू में हैं तो आप रुकू में ही तस्बीह के बजाये तीन तकबीरें बिना हाथ उठाये कह लें और अगर रुकू में पूरी न हो सके तो फिर कोई नुकसान नहीं है, आप की नमाज हो जायेगी।

शिया सवाल-जवाब

सवाल- एतेकाफ में क्या-क्या अनिवार्य है।

जवाब- एतेकाफ में रहने के लिए निम्न चीजें अनिवार्य हैं जैसे ईमान होना, अकलमंद होना, नियत, रोजा रखना, तीन रोजे से कम न हो।

सवाल- अगर कोई व्यक्ति कर्जदार है और वह उसे अदा नहीं कर पा रहा है तो क्या जकात ले सकता है।

जवाब- कर्जदार व्यक्ति पूरे वर्ष का खर्च रखने के बावजूद भी कर्ज अदा करने के लिए जकात का माल ले सकता है।

सवाल- फितरा निकालने का समय क्या है।

जवाब- फितरा ईद की रात से लेकर ईद के दिन जोहर के समय से पहले तक निकालना चाहिए।

सवाल- क्या अलविदा जुमा के दोनों खुतबों को सुनना अनिवार्य है।

जवाब- बेहतर है कि नमाजे जुमा के दोनों खुतबों को सुना जाए।

सवाल- क्या फितरा हर एक व्यक्ति पर अनिवार्य है।

जवाब- फितरा उस व्यक्ति पर अनिवार्य होता है जो अपना और अपने परिवार के सभी सदस्य के पूरे वर्ष का खर्च रख्ाता हाे।

कोट

चांद रात करीब आ चुकी है। जल्द ही ईद का ऐलान हो जायेगा लेकिन हमें लॉकडाउन के नियमों का पालन करना होगा। दूसरों के यहां जाने और बुलाने से बचना होगा। गरीबों की ज्यादा से ज्यादा मदद करें ताकि उनकी भी खुशियों से भरी ईद हो। दुआओं में अपने मुल्क और लोगों की सलामती की दुआ मांगें ताकि यह कोरोना नामक वबा जल्द खत्म हो।

आलिम हुसैन

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सुन्नी हेल्पलाइन

लोग अपने सवालात दोपहर 2 से 4 बजे के दौरान इन नंबरों 9415023970, 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 पर सवाल पूछ सकते हैं।

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शिया हेल्पलाइन

महिलाओं के लिए हेल्प लाइन नंबर 6386897124 है। जबकि शिया हेल्प लाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।