- 30 साल से गरीब बच्चों को फ्री हॉकी की ट्रेनिंग दे रहे पूर्व ओलंपियन सैयद अली

- ट्रेनिंग के साथ ही हॉकी खिलाडि़यों के लिए करते हैं किट की व्यवस्था

LUCKNOW:

हॉकी खेलना तो दूर जिन बच्चों ने कभी खेल का मैदान भी नहीं देखा था, वे आज देश के लिए हॉकी खेलने का सपना दिल में संजोए हैं। इसके लिए वे दिन-रात प्रैक्टिस कर रहे हैं। इन खिलाडि़यों को मंजिल तक पहुंचाने के लिए इनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर मेहनत कर रहे हैं, पूर्व ओलंपियन सैयद अली। वे पिछले 30 साल से गरीब बच्चों को हॉकी की फ्री ट्रेनिंग दे रहे हैं। उनका बस एक ही सपना है कि वह इन बच्चों के सहारे इंडियन हॉकी के गोल्डन पीरियड को वापस ला सकें।

तो कहीं कर रहे होते काम

सैयद अली से ट्रेनिंग ले रहे बच्चों ने बताया कि अगर सैयद सर न होते तो वे आज किसी की दुकान या घर में काम कर रहे होते। उन्होंने हॉकी में इंडिया के स्वर्णिम दिन की वापसी का सपना देखा है। हम इसे पूरा करने की पूरी कोशिश्ा करेंगे।

पैरेंट्स नहीं आने देते थे

चंद्र भान गुप्त खेल मैदान पर सैयद अली गरीब बच्चों को डेली सुबह-शाम हॉकी की प्रैक्टिस कराने आते हैं। सैयद अली ने बताया कि एक समय था जब यहां बहुत कम बच्चे ही हॉकी की प्रैक्टिस के लिए आते थे। बच्चों के घर जाकर उन्हें बुलाकर लाता और ट्रेनिंग देता। कई पैरेंट्स जो बच्चों को साथ नहीं भेजते थे, उन्हें समझाया कि वे बच्चों के भविष्य के बारे में सोचें। इन्हें अभी से काम पर न लगाएं। धीरे-धीरे मेरी मेहनत रंग लाई और आज यहां डेली 90 से अधिक बच्चे उनसे हॉकी के गुर सीखने आते हैं।

संसाधन उपलब्ध कराए

सैयद अली बताते हैं कि जब बच्चे हॉकी सीखने आने लगे तो सबसे बड़ी समस्या उनके लिए हॉकी, टीशर्ट, नेकर और जूते की व्यवस्था को लेकर आई। इसके लिए कई पूर्व खिलाडि़यों और खेल प्रमियों से संपर्क किया। कुछ खिलाडि़यों ने बच्चों को जूते खरीदकर दिए तो कुछ से इन्हें प्रैक्टिस के लिए हॉकी उपलब्ध कराई। आज भी इसी तरह हम बच्चों के लिए संसाधनों की व्यवस्था करते हैं। ये बच्चे पुरानी किट से ही मेरे शाइनिंग इंडिया के सपने को पूरा करने में जुटे हैं।

कई नेशनल प्लेयर बनाए

सैयद अली ने बताया कि यहां की नर्सरी से जिला लेवल से नेशनल लेवल तक के खिलाड़ी निकले हैं। इनमें ललित उपाध्याय, हरिकृपाल, विजय थापा, विवेकधर, अमित प्रभाकर, दीपक सिंह, राहुल शिल्पकार जैसे खिलाड़ी भी शामिल हैं। मौजूदा समय में यहां से निकला शारदानंद भारतीय हॉकी कैंमें है।

जब हॉकी खेलता था, तभी तय कर लिया था कि बच्चों को हॉकी की ट्रेनिंग दूंगा। भारतीय हॉकी टीम के सेलेक्शन तक की जिम्मेदारी मिली, उसे बखूबी अंजाम दिया। आज जब इन बच्चों को ट्रेनिंग देने डेली फील्ड पर आता हूं तो काफी खुशी होती है।

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