लखनऊ (ब्यूरो)। मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने की दिशा में डॉक्टर से लेकर कर्मचारियों तक को योगदान देने की जरूरत है। सरकारी अस्पतालों में ट्रांसप्लांट हो रहा है। सीटी और एमआरआई की सुविधा मिल रही है। आधुनिक जांचें हो रही हैं। इलाज की आधुनिक तकनीक को जोड़ें, ताकि मरीजों को दूसरे राज्य या देश की तरफ रुख न करना पड़े। कार्यशाला का समय-समय पर आयोजन से आधुनिक तकनीक का आदान-प्रदान संभव है। सरकार हर संभव मदद के लिए तैयार है, ये बातें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने शनिवार को लोहिया संस्थान व मस्क्यूलोस्केलेटल सोसायटी इंडिया की ओर से आयोजित 11वीं राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान कहीं।

जांच से इलाज हुआ आसान

कार्यशाला के दौरान चंडीगढ़ पीजीआई में रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ। महेश प्रकाश ने कहा कि एक्सरे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई और पेट स्कैन से बीमारी की पहचान होने से इलाज आसान हो गया है। वहीं, मस्क्यूलोस्केलेटल सोसायटी के अध्यक्ष डॉ। अभिमन्यु केलकर ने कहा कि स्पोर्ट्स इंजरी, मांसपेशी, हड्डी, न्यूरोलॉजिकल एवं डिजनरेटिव डिसऑर्डर में रेडियोलॉजी जांच से बीमारी की जल्द पहचान संभव है। इस दौरान लोहिया संस्थान की कार्यकारी निदेशक डॉ। सोनिया नित्यानंद समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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बलरामपुर में सीटी स्कैन के लिए कंट्रास्ट की कमी

बलरामपुर अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा तो है लेकिन गंभीर स्थिति में कंट्रास्ट जांच के लिए सुविधा नहीं है। जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है। यहां रोज 4 हजार से अधिक मरीज आते हैं। जिसमें बड़ी संख्या में मरीजों को सीटी स्कैन लिखा जाता है। संस्थान में रोज 30 से 35 सीटी स्कैन हो रहे हैं। जिसमें कई कंट्रास्ट वाले सीटी स्कैन भी होते हंै। सीएमएस डॉ। अतुल मेहरोत्रा ने बताया कि जरूरत पड़ने पर कंट्रास्ट मंगवाना पड़ता है। आयुष्मान लाभार्थी को यह फ्री उपलब्ध कराया जाता है। वैसे भी 90 फीसद मामलों में में सीटी स्कैन में कंट्रास्ट की जरूरत नहीं पड़ती है। ट्यूमर आदि केस में ही जरूरत पड़ती है। जिसे एलपी करवा लेते है। फिलहाल किसी मरीज को लौटाया नहीं गया है।