लखनऊ (ब्यूरो)। रिवैैंप्ड योजना में प्रीपेड स्मार्ट मीटर की कुल लागत छह हजार रुपये है, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा 900 रुपये एवं 5100 रुपये बिजली कंपनियों को खर्च करना है और उसका भार उपभोक्ताओं के वार्षिक राजस्व आवश्यकता एवं बिजली दर में पास आन करने सहित उपभोक्ताओ के परिसर पर लगने वाले प्रीपेड स्मार्ट मीटर की कैपिटल कॉस्ट पर ओपेक्स मॉडल में हर माह 16 से 20 की लगने वाली जीएसटी का भार भी उपभोक्ताओं के बिजली दर में डालने की तैयारी थी। इसको लेकर उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से शक्तिभवन में मुलाकात की और एक लोक महत्व प्रस्ताव सौंपते हुए उपभोक्ताओं को इस संकट से निकलवाने की मांग उठाई।

उपभोक्ताओं के हित के विपरीत
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि जब बिजली कनेक्शन लेते वक्त उपभोक्ता विभाग में मीटर कास्ट जमा करते हैैं, ऐसे में दोबारा उसके मीटर को बीच में किसी योजना में बदला जाना और उसकी कास्ट उपभोक्ता पर डालना उपभोक्ताओं के हितों के विपरीत है। इसी प्रकार पूरे टेंडर की कास्ट पर एक बार जीएसटी डालकर पुन: उपभोक्ताओं से हर माह उसकी कैपिटल कॉस्ट के साथ जीएसटी की वसूली भी गलत है। परिषद अध्यक्ष का यह भी कहना है कि ऊर्जा मंत्री की ओर से आश्वासन मिलने के बाद उपभोक्ताओं पर जीएसटी संबंधी अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।