लखनऊ (ब्यूरो)। आपकी लिखावट और लिखने का अंदाज आपके बारे में काफी कुछ बताता है। इतना ही नहीं, आपकी लिखावट भविष्य में होने वाली मेंटल बीमारियों के प्रति भी आगाह कर सकती है। यह काम महज चंद मिनटों में हो सकेगा। इस तकनीक पर केजीएमयू के वृद्धावस्था मानसिक विभाग के सुपर स्पेशियलिटी डीएम स्टूडेंट्स डॉ। सुरेश ने रिसर्च किया है। उनके अनुसार, इस तकनीक की मदद से समय से पहले ही डिमेंशिया जैसी बीमारी के खतरे का पता लगाया जा सकता है और अर्ली ट्रीटमेंट से उसे रोका जा सकता है। यह स्टडी पोलैंड के बाद भारत में हुई है। हाल ही में यह पेपर भारतीय जर्नल ऑफ जिरियाट्रिक मेंटल हेल्थ मैगजीन में प्रकाशित भी हुआ है।

हायर मेंटल फंक्शन जानने के लिए टेस्ट

डॉ। सुरेश ने बताया कि अल्जाइमर व डिमेंशिया समेत कई अन्य मानसिक बीमारियों से जूझने वाले मरीजों की जीवनशैली को जानने के लिए एक रिसर्च की गई। इसके लिए एक खास तरह के लाइव स्क्राइब इको स्मार्ट पेन और स्मार्ट बुक का उपयोग किया जाता है। यह पेन अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर से मंगाया गया है। इस पेन में माइक्रोफोन और कैमरे से रिकार्डिंग की सुविधा है। वहीं, 200 पेज की नोटबुक पर छुपे हुए डाट्स अंकित होते हैं। नोटबुक और पेन को स्वीडिश तकनीक के जरिए एक साफ्टवेयर से जोड़ा जाता है। जो कि हायर मेंटल फंक्शन को पहचानने के लिए होता है। यह एक तरह का स्टैंडर्ड टेस्ट है। जिससे मरीज की अटेंशन, मेमोरी, प्लानिंग, मेंटल बैलेंस और निर्णय लेने की क्षमता आदि पहलुओं को देखा और समझा जाता है। यह पूरा टेस्ट महज 1-2 मिनट में पूरा हो जाता है, जबकि सामान्य तरीके से आधा घंटा से एक घंटा का समय लग जाता है।

165 मरीजों पर की गई स्टडी

डॉ। सुरेश ने बताया कि अगस्त 2020 से फरवरी 2022 तक विभाग में आने वाले 60 से 85 वर्ष की आयु के 165 व्यक्तियों पर स्टडी की गई। जिसमें 135 व्यक्तियों की फॉलोअप में दोबारा जांच भी की गई। जिसमें मरीज की स्थिति को स्ट्रोक की संख्या व फ्रीक्वेंसी, वाक्य लिखने का समय, लिखने की चाल व तरीका, शब्दों की ऊंचाई-लंबाई और हैंडराइटिंग के अन्य मानकों के आधार पर परखा गया। जिसमें 87 व्यक्तियों में मानसिक आधार पर कई विसंगतियां पाई गईं, जबकि 78 व्यक्तियों में कुछ बीमारियों के लक्षण नजर आए।

डिमेंशिया की संभावना का लगा सकते हैं पता

अगर किसी को डिमेंशिया का खतरा है तो उससे पहले माइल्ड कोग्नेटिव इम्पेयरमेंट (एमसीआई) की स्टेज होती है, जो डिमेंशिया में बदलने में 10-20 साल लेती है। पर हैंडराइटिंग से इसका पहले से ही पता लगा सकते हैं, ताकि वो डिमेंशिया में न बदले। ऐसे में, उनका अर्ली ट्रीटमेंट कर सकते हैं। उनके रिजल्ट के आधार पर एडवाइस कर सकते हैं कि उनको क्या-क्या करना चाहिए और क्या-क्या नहीं, ताकि आगे चलकर उनको किसी तरह की कोई समस्या न आये।

हायर मेंटल फंक्शन जानने के लिए हैंडराइटिंग टेस्ट किया जाता है। इससे समय से पहले ही संभावित मानसिक समस्या का पता लगाकर उसका ट्रीटमेंट किया जा सकता है।

-डॉ। सुरेश, केजीएमयू