लखनऊ (ब्यूरो)। अचानक लोग हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। खासतौर पर कोरोना के बाद से अचानक ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें शख्स की अचानक हार्ट अटैक की वजह से मौत हो जा रही है। डॉक्टर्स भी इस बात को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनके अनुसार, मेडिकल टर्म में इसे सडन कार्डिएक डेथ कहते हैं। हालांकि, इसके पीछे वे कई चीजों को वजह बताते हैं। खासतौर पर खराब लाइफस्टाइल, स्मोकिंग, अल्कोहल, प्रदूषण आदि का कॉकटेल लोगों के दिल के लिए खतरा बन रहा है। ऐसे में विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है।

सडन कार्डिएक डेथ के मामले बढ़े

पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। नवीन गर्ग के मुताबिक, कोरोना के बाद लोगों में हार्ट अटैक की संख्या में इजाफा हुआ है। खासतौर पर एक तो कम उम्र में होने का कारण हार्ट की एक्टिविटी गड़बड़ हो जाती है। यानि कई लोगों में मसल्स और हार्ट की प्राब्लम होती है। इसके अलावा यंगऐज में आर्टरी ब्लाकेज हो रहा है, जो खासतौर पर कोरोना के बाद से बढ़ गया है। इसके अलावा हार्ट बीट अनियमित हो जाती है। यानि दिल बहुत तेजी से या कम धड़कता है। ऐसे में जो अचानक हार्ट अटैक पड़ रहा है उसे एससीडी यानि सडन कार्डिएक डेथ कहा जाता है, जो बिना लक्षण के हो जाता है। अस्पताल में हार्ट अटैक के 25-30 केस रोज आ रहे हैं। इसमें यंग ऐज वाले 25 फीसदी हैं, जबकि पहले महज 5-10 फीसदी थे।

महज कोरोना नहीं है इसका कारण

केजीएमयू के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। ऋषि सेठी के मुताबिक, कोरोना के बाद थ्रामबोसिस के मामले बढ़े हैं, पर इसका कारण महज कोरोना नहीं है। इसके पीछे कई वजहे हैं जैसे डायबिटीज, बीपी, कोलेस्ट्राल, खराब लाइफस्टाइल, स्मोकिंग, टोबैको, प्रदूषण, ओरल टौबेको, स्ट्रेस, अनहेल्दी कुकिंग आदि का कॉकटेल। अब 20 साल की उम्र भी हार्ट अटैक हो रहा है। हमारे यहां रोजाना 25-30 मामले आ रहे हैं। उसमें 20 फीसदी मामले 40 वर्ष की कम उम्र वालों के हैं। कोरोना की वजह से कितने केसेस बढ़े, यह कहना मुश्किल है। यंग लोगों में हार्ट अटैक का बड़ा कारण साइकोलॉजिकल स्टे्रस, नींद पूरी न लेना, तोंद निकलना, एक्सरसाइज न करना आदि प्रमुख हैं।

पहले भी ऐसा होता था

लोहिया संस्थान के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। भुवन चंद्र तिवारी के मुताबिक, तनाव और कई रिस्क फैक्टर हैं। ऐसा पहले भी होता था, लेकिन अब सामने ज्यादा आने लगा है। कोरोना का भी इफेक्ट होता दिख रहा है। इसको लेकर स्टडी की जा रही है। हार्ट अटैक के रोजाना 8-10 मरीज आ रहे हैं। इसमें 25 फीसदी करीब 45 वर्ष उम्र से कम वाले हैं। इस समय हार्ट के मरीजों से पूरा वार्ड भरा हुआ है।

सीपीआर देना आना बेहद जरूरी

पीजीआई के डॉ। नवीन गर्ग के मुताबिक, आज के समय में लोगों को सीपीआर तकनीक आना बेहद जरूरी है। इसकी मदद से कई लोगों की जानें बचाई जा सकती हैं। इसके अलावा, ऑटोमेटिक एक्सटरनल डीफाईबिलेटर्स मशीन का होना बेहद जरूरी है। जो मॉल्स, रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट जैसी जगह पर होनी चाहिए। पर इसके प्रति अधिक जागरूकता न होने के कारण इस मशीन को रखा नहीं जाता है। यह डिवाइस ऑपरेट करना बेहद आसान है और ऐसी परिस्थितियों में बेहद कारगर होती है।

कैसे करें अपना बचाव

- डायबिटिज, बीपी, कोलेस्ट्राल कंट्रोल में रखें

- एक्सरसाइज करें

- फॉस्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें

- स्ट्रेस न लें और नींद पूरी करें

- सीपीआर तकनीक को जानें

- योगा और मेडिटेशन करें

- अल्कोहल और टोबैको से दूर रहें

कोरोना के बाद हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। लोगों को हेल्थ का ध्यान रखने के साथ-साथ सीपीआर देने की तकनीक जानना भी बेहद जरूरी है।

-डॉ। नवीन गर्ग, कार्डियोलॉजिस्ट, पीजीआई