लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां प्रमुख मार्गों के किनारे लगे भारी भरकम यूनीपोल लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बने हुए हैैं, वहीं दूसरी तरफ 1100 से अधिक घरों की छतों पर लगी भारी भरकम होर्डिंग्स (लोहे के जाल) भी बड़ा खतरा बने हुए हैैं। अगर किसी दिन तेज आंधी या तूफान आया तो ये होर्डिंग्स गिरेंगे, जिससे दर्दनाक हादसा हो सकता है।

भारी भरकम लोहे के जाल

प्रचार कंपनियां मनमाने तरीके से अच्छी लोकेशन वाली छतों पर भारी भरकम लोहे का जाल छतों पर लगा रही हैं। प्रचार एजेंसियां जीएसटी और नगर निगम में अनुज्ञा शुल्क जमाकर छतों पर प्रचार के लिए लोहे का जाल लगा रही हैं। पहले नगर निगम में स्ट्रक्चरल इंजीनियर की रिपोर्ट के बाद ही अनुमति मिलती थी। हालांकि, यह रिपोर्ट भी मनमाने तरह से बनवा ली जाती थी।

200 ने ही दी स्ट्रक्चरल रिपोर्ट

पिछले साल नगर निगम ने 1130 छतों पर लोहे का जाल लगाने की अनुमति दी थी, लेकिन उसमें से करीब दो सौ ने ही स्ट्रक्चरल इंजीनियर की रिपोर्ट दी थी और चालू वित्तीय वर्ष में ऐसी छतों की संख्या 1200 हो सकती है, जहां विज्ञापन प्रचार के लिए छतों पर भारी भरकम लोहे के जाल को लगाया जाएगा। निशातगंज में तो कई छतों पर लोहे के ऐसे जाल लगे हैं, जबकि बिङ्क्षल्डग पुरानी हैं। ऐसे ही तस्वीर शहर में जगह-जगह देखने को मिल जाएगी।

पहले भी हो चुके हादसे

हजरतगंज में लवलेन की छत पर भी लोहे का भारी भरकम जाल लगा था और यह एक दशक पहले की बात है। कमजोर छत लोहे के जाल का भार झेल नहीं पाई और ढह गई। इसमें एक की मौत हो गई थी, जबकि कई दब गए थे। वजीर हसन रोड और पालीटेक्निक तिराहे के पास भी लोहे का जाल गिरने की घटना हो चुकी है। इसके बावजूद जिम्मेदारों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।