- परिवार व खुद के कोरोना संक्रमित होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत

- बाहरी चुनौतियों के साथ बाखूबी निभाई घर की जिम्मेदारी

LUCKNOW: कोरोना के संक्रमण काल में एक बार फिर से मां के संकल्प और दृढ़ निश्चय की जीत हुई है। परिवार के साथ खुद के संक्रमित होने के बाद भी एक मां ने हिम्मत नहीं हारी और चुनौतियों का बाखूबी सामना करते हुए अपने परिवार को कोरोना रूपी तूफान से सकुशल बाहर निकाल लाईं। सभी परिवार सुरक्षित हैं और फिर से एक मां की बदौलत घर में खुशियां लौट आई हैं। मदर डे पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ऐसी माताओं को सैल्यूट करता है, जिनकी ममता के सामने कोरोना ने अपने घुटने टेक दिये।

पहला केस

हिम्मत नहीं हारी

शिवपुरी कमता निवासी देवकी देवी समेत उनके पति सत्यवीर सिंह और बच्चे अमरजीत सिंह, रंजीत सिंह कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि सभी का मनोबल बनाए रखना और गृहस्थी को पूर्ववत चलाना। चुनौतियां कठिन थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और प्रण किया कि कोरोना के साथ शुरू हुई जंग में जीत उनके परिवार की होगी। उन्होंने सभी को टाइम से दवा देने के साथ प्रॉपर काउंसिलिंग भी की। उन्होंने बार बार सभी से यही कहा कि घबराने की बात नहीं है। कोरोना से जीत निश्चित है। हर पल वे पूरे परिवार के साथ खड़े रहीं। कठिन समय में उन्होंने अपना भी पूरा ध्यान रखा और उससे कहीं ज्यादा अपने परिवार का। अंतत: जीत उनके आत्मविश्वास की हुई। अब पूरा परिवार कोरोना की जद से बाहर आ चुका है और सभी लोग हंसी खुशी जीवन बिता रहे हैं।

दूसरा केस

चिंता तो हुई, लेकिन आत्मविश्वास रहा मजबूत

विराटखंड निवासी शीला गुप्ता का भी पूरा परिवार कोरोना संक्रमित हो गया था। उनके पति संत दास गुप्ता, बेटा अंकुर और बेटी अंकिता सभी संक्रमण की चपेट में आ गए थे। जब सबकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो वह परेशान हो गईं। उन्हें अपने से ज्यादा परिवार की चिंता हुई। सबके हंसते हुए चेहरे उनकी आंखों के सामने घूम रहे थे। बस यहीं से उन्होंने ठान लिया कि कुछ भी हो जाएं, कोरोना उनके परिवार पर भारी नहीं पड़ सकता। उन्होंने अपने समेत परिवार के सभी सदस्यों का प्रॉपर डाइट चार्ट बनाया और टाइम टेबिल के आधार पर भाप, गरारा इत्यादि शुरू कराया। दवाओं के साथ उनकी दुआएं भी काम आईं और अंतत: उनका पूरा परिवार स्वस्थ हो गया।

तीसरा केस

अपनी चिंता छोड़ परिवार को संकट से उबारा

ऐशबाग के तिलक कॉलोनी निवासी वरुण दीक्षित की ऐशबाग एरिया में लैब है। फैमिली में उनकी पत्‍‌नी वर्षा और बेटा वरदान हैं। अप्रैल मंथ के शुरुआत में ही वरुण के घर में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी। उनकी पत्‍‌नी वर्षा ने बताया कि सबसे पहले फैमिली में पति को प्रॉब्लम शुरू हुई। उसके बाद उन्हें भी कोरोना के लक्ष्ण आने लगे। इसी दौरान उनके बेटे को भी बुखार आने लगा। बेटे और पति को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए उन्होंने डॉक्टरों से संपर्क कर उनका इलाज शुरू किया। बेटे को प्रोटीन व अन्य जरूरी दवाइयां दीं। खुद भी दवाइयों और एक्सरसाइज के जरिए रिकवर किया। हालांकि इस दौरान उनके पति को ज्यादा परेशानी हो गई। वर्षा ने तत्काल पति का आरटीपीसीआर टेस्ट कराया और ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्हें भर्ती कराने के लिए कई हॉस्पिटल में चक्कर लगाए। इसके बाद उन्हें ऐरा हॉस्पिटल में भर्ती कराया। उन्होंने अपने मासूम बेटे का घर पर ही अपनी देख.रेख में इलाज शुरू किया। हालांकि इस दौरान उनके ससुर की कोरोना के चलते मौत हो गई। वर्षा ने न केवल खुद को कोरोना संक्रमण से मुक्त किया बल्कि बेटे और पति को भी इस जानलेवा संकट से उबारा। अब उनके पति भी हॉस्पिटल से घर आ चुके हैं।

चौथा केस

ऑक्सीजन लेवल हुआ कम, हिम्मत नहीं हारी

कृष्णानगर के विजयनगर निवासी टीचर सुनीता अवस्थी व उनके पति यश अवस्थी, बुजुर्ग चाची भगवती सहित दो बेटों शौर्यवर्धन व आर्यवर्धन को कोरोना ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था। घर पर आईसोलेट टीचर का ऑक्सीजन लेवल भी कम हुआ और उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पूरे परिवार ने एक दूसरे का साथ दिया और आत्मविश्वास बनाए रखा। अपनी सेहत डाउन होने के बाद भी उन्होंने परिवार के हर एक सदस्य का ख्याल रखा और सबकी हिम्मत बढ़ाती रहीं। जब एक दो बार उनकी तबीयत बिगड़ी तो बेटों ने उनका हौंसला बढ़ाया। उन्होंने सभी की सेहत का ख्याल रखा और अंतत: पूरे परिवार ने कोरोना को मात दी।

ये है अपील

हर मां की यही अपील है कि कोरोना हो या कोई और संकट, हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। कठिन से कठिन वक्त में भी अपना आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए। ऐसा करने से हर हाल में जीत हमारी होगी।