लखनऊ (ब्यूरो)। गवर्नर ने बताया कि मेरी छोटी बहन को हार्ट अटैक आने पर अस्पताल भर्ती कराया गया। जीवन बचने की कोई संभावना नहीं थी। डॉक्टरों द्वारा बचने की कोई उम्मीद न होने की स्थिति में हम सभी की सहमति से लिवर व किडनी दान करने का फैसला लिया। जिसके बाद एक महिला को लिवर और एक पुरुष को किडनी दान की गई। दोनों प्रत्यारोपण के बाद आज भी जीवित हैं। इसी तरह एक संबंधी ने भी देहदान की बात कही इसलिए लोगों से अपील है कि देहदान, अंगदान व रक्तदान करने के लिए आगे आएं। मुख्य सचिव आरके तिवारी ने कहा कि पीजीआई द्वारा तैयार की गई राज्य अंगदान पॉलिसी को सरकार जल्द लागू करेगी ताकि जरूरत मंद लोगों को आसानी से अंग मिल सके। वहीं निदेशक डॉ। आरके धीमन ने कहा कि अंगों की कमी के कारण पांच लाख लोगों की हर साल मौत हो जाती है। इसमें दो लाख लिवर, 1.5 लाख गुर्दा व बाकी बचे दूसरे अंगों के मरीज शामिल हैं। ऐसे में लोग अगर अंगदान के लिए आगे आयेंगे तो लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।

जागरूक किया जा रहा
वहीं सोटो व पीजीआई के अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख डॉ। राजेश हर्षवर्धन ने कहा कि जागरूकता कार्यक्रमों के जरिये लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित और जागरूक किया जा रहा है। अंगदान की पॉलिसी लागू होने पर प्रदेश में अंगदान को गति मिलेगी। नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ। नारायण प्रसाद ने कहा कि दिल, गुर्दा, लिवर पैंक्रियाज आंत और फेफड़ों के अलावा त्वचा, अस्थि, अस्थि मज्जा आदि का प्रत्यारोपण संभव है। प्रोग्राम के दौरान स्कूलों में आयोजित पोस्टर व अन्य प्रतियोगिताओं के तीन अव्वल प्रतिभागियों को 20, 15 व 10 हजार रुपये का पुरस्कार दिया गया। अन्य पांच छात्रों को 5-5 हजार रुपये का सांत्वना पुरस्कार दिया गया।