लखनऊ (ब्यूरो)। जैसे-जैसे राजधानी का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे बंदरों के आतंक की समस्या भी बढ़ती जा रही है। सर्वाधिक गंभीर समस्या सीतापुर रोड, अयोध्या रोड, शहीद पथ के पास देखने को मिल रही है। दरअसल, पहले यहां हरियाली थी, लेकिन अब कंक्रीट के जंगल हो गए हैं। ऐसे में बंदरों ने अब अपना ठिकाना लोगों के घरों को ही बना लिया है। तेलीबाग और उतरेठिया जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को तो बंदरों के डर की वजह से जाल आदि लगाने पड़ गए हैैं।
कांट से कवर पानी की टंकियां
राजधानी के पुराने एरिया लालकुआं की बात की जाए तो यहां भी कई सालों से बंदरों ने अपना आतंक मचा रखा है। यहां पर सुबह से लेकर रात तक बंदर धमाचौकड़ी करते हैैं। इस इलाके में तो कई लोगों ने अपने घरों की छतों पर रखी पानी की टंकियों को कंटीले तारों से कवर कर रखा है। बंदरों की वजह से आए दिन पानी की टंकियों के ढक्कन टूट जाते हैैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पानी की टंकी को कवर न किया जाए तो बंदर रोज सुबह या शाम को घर की छत पर आ जाते हैैं और पानी की टंकियों के ढक्कन को तोड़कर पानी वेस्ट करते हैैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए ही पानी की टंकियों को कांटे से कवर करना पड़ा है। कई लोगों ने पानी की टंकियों के कवर को हटाकर स्टील फ्रेमिंग कर दी है।
अभियान की सख्त जरूरत
वन विभाग की ओर से नियमित रूप से कोई अभियान नहीं चलाया जाता है। वन विभाग की ओर से अगर नियमित रूप से अभियान चलाया जाए तो साफ है कि लोगों को काफी हद तक बंदरों की समस्या से निजात मिल सकती है। ऐसे में वन विभाग को कार्ययोजना बनाकर बंदर प्रभावित एरियाज में अभियान चलाए जाने की सख्त जरूरत है।
मैैं चंदर नगर आलमबाग का रहने वाला हूं। मेरे एरिया में भी बंदरों ने लंबे समय से आतंक मचा रखा है। रोजाना तीन से चार लोगों को काट रहे हैैं। बंदरों से बचने के लिए कई बार लोग तेजी से भागते हैैं और उनके हाथ पैर तक टूट जाते हैैं।
डॉ। विनोद कुमार बस्सी
घनी आबादी वाला एरिया होने के बावजूद बंदरों ने जमकर उत्पात मचा रखा है। वन विभाग से कई बार अभियान चलाए जाने की मांग की गई लेकिन नतीजा सिफर रहा।
अर्शदीप, वृंदावन कॉलोनी
बंदरों की वजह से घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है। सुबह से लेकर शाम तक बंदरों का आतंक रहता है। वन विभाग को तत्काल अभियान चलाने की जरूरत है।
राकेश, लालकुआं
मेरे एरिया में भी लंबे समय से बंदरों ने आतंक मचा रखा है। कई बार तो बंदर राह गुजरते लोगों को पर हमला कर देते हैैं। ऐसे में जरूरी है कि इस समस्या का स्थाई समाधान किया जाए। जिससे स्थानीय लोगों को राहत मिल सके।
कनिष्क, सीतापुर रोड
राजधानी के सबसे अधिक पुराने एरिया होने के कारण कई मुश्किलें हैैं। हालांकि सबसे अधिक समस्या बंदरों की वजह से होती है। सुबह से लेकर शाम तक बंदर उत्पात मचाए रखते हैैं।
रवींद्र, अमीनाबाद