लखनऊ (ब्यूरो)। पारा इंस्पेक्टर दधिबल तिवारी ने बताया कि काकोरी के नरौरा गांव निवासी संदीप पहले संतोष के साथ प्रॉपर्टी का काम करता था। इसी बीच संतोष हत्या के आरोप में जेल चला गया। इस पर संदीप ने उससे किनारा कसना शुरू कर दिया। वह संतोष से जेल में मिलने नही गया।

चार दिन पहले ही छूटा था

संतोष 18 जनवरी को जेल से बाहर आया और उसने संदीप की हत्या की योजना बनानी शुरू कर दी। 22 जनवरी को उसने संदीप के ही गांव के मनीष गौतम के जरिये उसे बांगरखेड़ा स्थित मैदान में बुलाया। मनीष अपने दोस्त विकास गौतम, सचिन रावत और एक नाबालिग के साथ संदीप को लेकर तय जगह पहुंचे और संदीप की हत्या कर दी गई।

दुश्मन को फंसाना चाहता था

इंस्पेक्टर ने बताया कि पतौरा गांव निवासी अजीत सिंह से संदीप के परिवार की दुश्मनी थी। मनीष को इसकी जानकारी थी। इसलिए हत्या के बाद वह कार से शव को पतौरा गांव लेकर गया और अजीत के घर के पास शव फेंककर फरार हो गए।

मनीष का फोन बंद होने से शक

इंस्पेक्टर ने बताया कि शव मिलने के बाद संदीप की कॉल डिटेल खंगाली गयी तो आखिरी बात मनीष से हुई मिली। संदीप का फोन गायब और मनीष का फोन बंद था। पहला शक मनीष पर गहराया। कडिय़ां जोड़ते हुए पुलिस ने मनीष, विकास, सचिन और उनके नाबालिग दोस्त को पकड़ लिया। मुख्य आरोपी संतोष अभी फरार है। मनीष के पास से वारदात में इस्तेमाल पिस्टल और कार बरामद हुई है।