लखनऊ (ब्यूरो) । पीजीआई द्वारा ओपीडी में मरीजों की कोरोना रिपोर्ट की बाध्यता तीन से पांच दिन व गंभीर मरीजों के लिए सात दिन का आदेश जारी किया गया था। इसी को लेकर सीएमएस डॉ। गौरव अग्रवाल ने बताया कि कुछ मरीज और तीमारदार ओपीडी में दिखाने के लिए फर्जी कोरोना रिपोर्ट लेकर आ जाते हैं। इससे डॉक्टर व स्टाफ के संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है। इसकी रोकथाम के लिए कोरोना रिपोर्ट की जांच के लिए आदेश दिया गया है। इसके तहत ओपीडी के मेडिकल सोशल वर्कर और रेजिडेंट डॉक्टर अपने मोबाइल की मदद से कोरोना रिपोर्ट का क्यूआर कोड स्कैन कर जांच करेंगे। इसी तरह खून व अन्य जांच के दौरान टेक्नीशियन जांच करेंगे।

पूर्व में मिली था फर्जी रिपोर्ट
गौरतलब है कि इससे पहले भी पीजीआई में कई बार कोरोना की फर्जी निगेटिव रिपोर्ट लेकर ओपीडी में दिखाने के लिए पहुंच जाते हैं। मरीजों से पूछताछ में पीजीआई गेट के बाहर मेडिसिन मार्केट में कुछ लोगों द्वारा कोरोना की फर्जी रिपोर्ट बनाने की बात सामने आई थी। इसके बाद संस्थान द्वारा पुलिस को सूचना भी दी गई, लेकिन दोषियों के खिलाफ अबतक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। ऐसे में फर्जी रिपोर्ट को पकडऩे के लिए जांच का आदेश दिया गया है।