लखनऊ (ब्यूरो)। ज्यादातर निजी ब्लड बैैंकों में नियम कानूनों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैैं। एक तरफ तो डोनर्स फॉर्म में आधी अधूरी डिटेल्स लिखी जा रही हैैं, तो वहीं उनके मोबाइल नंबर भी सही से अंकित नहीं किए जा रहे हैैं। जिससे यह जान पाना बेहद मुश्किल है कि डोनर्स कौन हैैं और उनकी डिटेल्स क्या है। इतना ही नहीं, दूसरे राज्यों से ब्लड मंगाने के लिए अंडर स्टेट परमीशन बहुत जरूरी होती है, लेकिन अभी जो ब्लड बैैंक सामने आए हैैं, उनमें इस नियम को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।

देनी होगी पूरी जानकारी

ब्लड बैैंकों में अनियमितताएं सामने आने के कारण जिला प्रशासन सख्त रवैया अपनाने जा रहा है। पहले तो सभी निजी ब्लड बैैंकों को नोटिस जारी करके उनसे पूछा गया है कि उन्होंने ब्लड कहां से मंगाया और कितने यूनिट मंगाया। इसके साथ ही उसका यूज किस तरह से हुआ, इसकी भी जानकारी मांगी गई है। इतना ही नहीं, यह भी बताना होगा कि डोनर्स के नंबर्स और एड्रेस संबंधी डिटेल्स सही से क्यों नहीं भरी गईं और उनका रिकॉर्ड अपडेट क्यों नहीं किया गया।

यहां मिली थीं खामियां

केस 1

एक जुलाई को डीएम ने मेसर्स स्वास्तिक चैरीटेबल ब्लड बैैंक में निरीक्षण किया था। यहां उन्हें भारी अनियमितताएं मिली थीं। एक तरफ तो डोनर फॉर्म पर गलत मोबाइल नंबर लिखे गए थे, वहीं खाली ब्लड बैग के आंकड़ों में भी खेल सामने आया था। जिसके बाद औषधि अनुज्ञापन एवं नियंत्रण प्राधिकारी, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, उप्र को निरीक्षण आख्या की मूलप्रति कार्रवाई के लिए भेज दी गई थी।

केस 2

दो जुलाई को एफएसडीए और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने कृष्णानगर स्थित मानव चैरिटेबल ब्लड हैंड कॉम्पोनेंट सेंटर में निरीक्षण किया था और यहां भी खासी कमियां मिली थीं। यहां अभिलेखों के सत्यापन के दौरान पाया गया था कि ब्लड बैंक में राजस्थान के जयपुर, चूरू एवं पंजाब के भटिंडा से पीआरबीसी मंगाई जाती है। जिसके सत्यापन के दौरान पाया गया कि नाको द्वारा निर्धारित नियमावली के अंतर्गत पीआरबीसी की सप्लाई का कोई परमिशन अंडर स्टेट नहीं लिया गया है, जो एक गंभीर मामला था।

ऑनलाइन पोर्टल पर काम

जिला प्रशासन की ओर से सभी निजी ब्लड बैंकों से जुड़ा डेटा अपडेट किया जा रहा है। इसके साथ ही यह भी प्रयास किया जा रहा है कि ब्लड की एक्सपायरी के संबंध में ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाएगा, जिससे ब्लड की उपलब्धता व एक्सपायरी को अपडेट किया जा सके और ब्लड स्टॉक को गूगल शीट के माध्यम से एक्सेस किया जा सके। जो ब्लड कलेक्ट किया गया है, उसकी भी जांच होगी।

इन बिंदुओं पर रहेगी नजर

-निजी ब्लड बैैंक कहां से ब्लड मंगा रहे हैैं

-ब्लड कैंप लगाने से पहले सीएमओ से अनुमति ली या नहीं

-नियमों के अनुरूप स्टाफ है या नहीं

-दूसरे राज्यों से ब्लड मंगाने पर स्टेट परमीशन ली जाती या नहीं

सभी निजी ब्लड बैैंकों को सख्ती से नियमों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैैं। इसके साथ ही उनका रिकॉर्ड भी मेनटेन कराया जा रहा है। नियमों का पालन न करने वाले ब्लड बैैंकों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

-सूर्यपाल गंगवार, डीएम