- 5 जेसीबी से जमींदोज किया गया अवैध टॉवर

- 5 डंपर का भी किया गया इस्तेमाल

- 150 पुलिस कर्मी रहे मौजूद

- 1 बटालियन पीएसी को भी किया गया तैनात

- 3 घंटे में जमींदोज किये गये अवैध टॉवर

- 2 अवैध टॉवर थे बनाए गए थे निष्क्रांत संपत्ति पर

- 10 हजार वर्ग फुट जमीन पर किया गया था कब्जा

- 5 सुबह शुरू की गई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई

- एलडीए, जिला प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने चलाया अभियान

- सुबह 5 बजे से शुरू हुआ अभियान, तीन मंजिला दो टॉवर को किया गया ध्वस्त

- निष्क्रांत संपत्ति पर बनाए गए टॉवर में मुख्तार के गुर्गो का था ठिकाना

कार्रवाई में इन विभाग के अधिकारी थे मौजूद

- एलडीए

- जिला प्रशासन

- हजरतगंज पुलिस

- नगर निगम

LUCKNOW(27 Aug): हजरतगंज स्थित डालीबाग में बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी द्वारा निष्क्रांत संपत्ति पर अवैध रूप से खड़े किये गये टॉवरों को एलडीए ने बुलडोजर से जमींदोज कर दिया। इसके साथ करीब दस हजार वर्ग फुट को कब्जा मुक्त कराया। अवैध रूप से कब्जा कर जमीन पर दो टॉवर बनाए थे। ये टॉवर उनके दो बेटों के नाम पर थे। एलडीए, जिला प्रशासन और भारी संख्या में पुलिस बल गुरुवार सुबह 5 बजे अवैध कब्जे को हटाने के लिए पहुंची। इस दौरान कुछ लोगों ने टीम को देखकर एलडीए के अफसरों से विरोध जताते हुए झड़प की कोशिश की, लेकिन पर्याप्त पुलिस बल देखकर पीछे हट गये। महज तीन घंटे में एलडीए की जेसीबी मशीन ने निष्क्रांत संपत्ति पर अवैध रूप से बने तीन मंजिला दोनों टॉवर को जमींदोज कर दिया।

एक टॉवर में रह रहा था परिवार, दूसरा था बंद

डालीबाग तिलक मार्ग पर बाहुबली मुख्तार अंसारी ने करीब दस हजार वर्ग फुट पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा था। यहां पर दो आलीशान टॉवर बनाए गए थे। एलडीए की टीम ने गुरुवार सुबह 5 बजे अभियान चलाकर उसे जमींदोज कर दिया। यह बिल्डिंग निष्क्रांत संपत्ति पर बनी थी, जिसे मुख्तार ने फर्जी तरीके से अपनी मां के नाम करा लिया था। बाद में उसने अपने दो बेटे अब्बास अंसारी व उमर अंसारी के नाम करा दी। दोनों बिल्डिंग बिना नक्शे के अवैध तरीके से बनाइर्1 गई थी।

कर्मचारियों ने खाली िकया मकान

एलडीए की टीम सुबह पांच बजे करीब 20 गाडि़यों के साथ मौके पर पहुंची। यहां एक बिल्डिंग में ताला बंद था जबकि दूसरे में एक परिवार रह रहा था। उन्हें तत्काल घर खाली कराने का निर्देश दिया गया, लेकिन वह नहीं माने। इस पर एलडीए के कर्मचारियों ने दोनों बिल्डिंग में रखा सामान निकाल कर बाहर रख दिया। वहीं दूसरी बिल्डिंग में प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में ताला तोड़ा गया। एलडीए द्वारा कार्रवाई शुरू करने से पहले कुछ लोगों ने विरोध का प्रयास किया, लेकिन भारी पुलिस देख सभी शांत हो गये। हालांकि इस दौरान पुलिस को लाठी फटक कर उन्हे खदेड़ना पड़ा। इसके बाद पांच जेसीबी मशीन से दो टॉवरों को गिराने का काम शुरू किया। देखते ही देखते तीन मंजिला दो टॉवर ताश के पत्तों की तरह भरभरा गये। तीन घंटे में आलीशान टॉवर मलबे में तब्दील हो चुके थे। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बाद नगर निगम के डंपर से मलबा हटाने का काम शुरू किया।

गुपचुप तरीके से चलाया गया अभियान

टॉवरों को जमींदोज करने के लिए जिला प्रशासन और एलडीए ने बेहद ही गुपचुप तरीके से अभियान चलाया। अभियान चलाने के लिए बुधवार रात में पूरी तैयारी कर ली गई थी और सुबह होते ही टीम को कार्रवाई का फरमान जारी कर दिया गया। अधिकारियों को डर था कि कहीं कार्रवाई की भनक लगते ही बड़े स्तर पर विरोध न शुरू हो जाए। पुलिस अधिकारियों को बुधवार रात ही सुबह चार बजे बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स की व्यवस्था करने का आदेश दे दिया गया था, हांलाकि लोकेशन की जानकारी नहीं दी गई थी। कार्रवाई के लिए अलसुबह का समय निश्चित किया गया ताकि इस समय ज्यादा लोग मौके पर न पहुंच सकें।

आलीशान बनाए गए थे दो टॉवर

निष्क्रांत संपत्ति पर बनाए गये दोनों टॉवर बेहद ही आलीशान थे। तीन मंजिला टॉवर एक ही तरह के थे, जिसमें हर सुख सुविधा का सामान लगाया गया था। जमीन पर टाइल्स व पत्थर भी लगे थे। हर मंजिल पर तीन तीन कमरे के साथ साथ किचन व टॉयलेट भी बनाए गये थे। किचन व टॉयलेट पूरी तरह से मार्डन बनाए गए थे। एंट्री व एक्जिट प्वाइंट के दरवाजे भी काफी शानदार थे। बालकनी व विंडो पर महंगे कांच लगाए गए थे।

मो। वसीम की थी निष्क्रांत संपत्ति

डालीबाग में मुख्तार अंसारी के जिस अवैध निर्माण को ढहाया गया, वह निष्क्रांत जमीन पर बनाया गया था। दरअसल, जो लोग पाक जा कर बस गये थे, उनकी संपत्ति के कागजों में वर्ष 1952 में हेरफेर कर निष्क्रांत का ब्योरा खतौनी से हटा दिया गया। इस बीच कितने अफसर आए और चले गए, लेकिन किसी ने सुध लेने का प्रयास नहीं किया। जब शासन से इन निर्माणों के बारे में पूछा गया तो गड़बड़झाला सामने आया। प्रशासन अब बता रहा है कि यह जमीन मोहम्मद वसीम की थी। वर्ष 1952 में वह देश छोड़कर पाकिस्तान जा बसे थे। इसके बाद किसी वकील ने अभिलेखों में हेरफेर की। अफसरों के अनुसार दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर निष्क्रांत संपत्ति वाला हिस्सा ही गायब कर दिया गया जबकि निष्क्रांत संपत्ति का भू उपयोग परिवर्तन कभी बदला नहीं जा सकता है। जांच के बाद इस बड़ी हेरफेर की जानकारी एलडीए को दी गई।

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ये समझें निष्क्रांत और शत्रु संपत्ति को

वर्ष 1947 से 1954 तक जो लोग देश छोड़कर गए, उनकी संपत्ति को निष्क्रांत घोषित किया गया। जिले के डीएम इसके कस्टोडियन होते हैं। स्वामित्व राजस्व परिषद का माना जाता है। यह संपत्ति उन लोगों को ही दी जा सकती थी जो बंटवारे के समय पाकिस्तान छोड़कर भारत आए थे। वहीं वर्ष 1954 के बाद देश छोड़कर पाकिस्तान में बसने वालों की संपत्ति को शत्रु संपत्ति कहा गया। इसका स्वामित्व मुंबई में बैठे शत्रु संपत्ति के संरक्षक के पास होता है। इसका भी कस्टोडियन डीएम को बनाया गया है।