लखनऊ (ब्यूरो)। वर्तमान समय में नगर निगम के पास अपनी संपत्तियों को लेकर प्रॉपर रिकॉर्ड नहीं है। जिसकी वजह से कई बार निगम की संपत्तियों पर कब्जा हो जाता है। इसके साथ ही यह भी प्रॉपर जानकारी नहीं मिल पाती है कि किस इलाके में कितने नए मकान बन गए। निगम के पास यह भी जानकारी नहीं है कि किन-किन इलाकों में निगम की जमीन रिक्त है। जिसकी वजह से नई योजनाओं को इंप्लीमेंट करने में समस्या आती है।

यह सिस्टम होगा लागू
स्मार्ट सिटी के अंतर्गत निगम प्रशासन की ओर से प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जा रहा है। इसके अंतर्गत निगम की ओर से अपनी हर एक संपत्ति जैसे मकान, दुकान, सड़क, पार्क इत्यादि संबंधी डेटा बेस तैयार किया जाएगा।

अतिक्रमण संबंधी जानकारी भी
प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सिस्टम के तहत निगम प्रशासन की ओर से ऐसे स्थानों को भी चिन्हित किया जाएगा, जो निगम की जमीन हैैं और उन पर कब्जा हो चुका है। पहले तो ऐसे स्थानों का फोटो रिकॉर्ड मेनटेन किया जाएगा, फिर इसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। अतिक्रमण से जमीन खाली होने के बाद उसका रिकॉर्ड भी अपडेट किया जाएगा। जिससे उक्त जमीन पर दोबारा कब्जा न हो सके।

ऑनलाइन मॉनीटरिंग
इस सिस्टम के लागू होने से सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि हर एक संपत्ति की ऑनलाइन मॉनीटरिंग की जा सकेगी। इसके साथ ही अगर किसी इलाके में नया मकान बनता है तो उसकी जानकारी भी निगम प्रशासन को मिल जाएगी। जिसके आधार पर निगम की टीम मौके पर जाकर टैक्स असेसमेंट कर सकेगी। चूंकि अभी जानकारी नहीं मिल पाती है, इस वजह से टैक्स असेसमेंट नहीं हो पाता है। परिणामस्वरूप भवन स्वामी की ओर से टैक्स चोरी की जाती है और निगम को राजस्व संबंधी नुकसान होता है।

हर घर की होगी कोडिंग
प्रॉपर्टी मैनेजमेंट के अंतर्गत हर एक घर की कोडिंग भी की जाएगी। जिससे अगर भविष्य में भवन स्वामी की ओर से घर का विस्तारीकरण किया जाता है तो तत्काल इसकी जानकारी निगम के जोन कार्यालय को मिल जाएगी। जिसके बाद निगम की टीम विस्तारीकरण के आधार पर नए सिरे से टैक्स असेसमेंट करेगी।

ये रिकॉर्ड अपडेट होगा
1-निगम की कुल कितनी संपत्ति है
2-मकानों की संख्या
3-रोड्स की संख्या
4-पार्कों की संख्या
5-निगम की जमीनों पर कब्जे की स्थिति
6-सामुदायिक केंद्रों की संख्या-स्थिति

अभी 88 गांव शामिल नहीं
उक्त प्रॉपर्टी मैनेजमेंट में भी 88 गांवों को शामिल नहीं किया गया है। पहले शहरी क्षेत्र में उक्त कदम को उठाया जाएगा, इसके बाद निगम में शामिल 88 गांवों में उक्त सिस्टम को लागू किया जाएगा। हाल फिलहाल उक्त 88 गांवों में जीआईएस सर्वे शुरू कराया जा रहा है। जिसमें गांवों से जुड़ी पूरी डिटेल को नए सिरे से अपडेट किया जाएगा।

तय हो सकेगी जिम्मेदारी
प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सिस्टम लागू होने से अधिकारियों की भी जिम्मेदारी क्रमबद्ध तरीके से तय की जा सकेगी। अगर किसी को अतिक्रमण रोकने की जिम्मेदारी मिलती है और अतिक्रमण की शिकायत आती है तो संबंधित अधिकारी से तत्काल सवाल जवाब किए जा सकेंगे।

तैयार होगा प्लान
जिन जमीनों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाएगा, उनमें डेवलपमेंट कराने के लिए भी प्लान तैयार कराया जाएगा। जिससे कोई भी व्यक्ति फिर से कब्जा न कर सके। हाल में ही सदन में इस बिंदु को लेकर निर्णय लिया जा चुका है। डेवलपमेंट शुरू कराये जाने से पहले ही रिक्त जमीनों को कवर करने के लिए फेंसिंग कराई जाएगी, जिससे जमीन सेफ रहे।


प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने की यही वजह है कि निगम की सभी संपत्तियों का डेटा बेस तैयार किया जा सके। इस कदम को उठाने से निगम की संपत्तियों पर होने वाले कब्जों को भी आसानी से रोका जा सकेगा।
अजय कुमार द्विवेदी, नगर आयुक्त