लखनऊ (ब्यूरो)। सोमवार को संजय गांधी पीजीआई की ओटी-1 में हुए अग्निकांड की जांच शुरू हो गई है। वहीं, संस्थान प्रशासन ने घटना पर दुख जताया है। घटना के समय वहां मौजूद रहे डॉक्टर्स, रेजिडेंट्स और स्टाफ आदि ने समय रहते दर्जनों मरीजों को बचाने का भी काम किया। जिसके कारण कई लोगों को मेडिकल हेल्प तक दी गई। पीजीआई निदेशक प्रो। आरके धीमन के अनुसार, कार्डियक ओटी में ऑपरेशन कर रहे डॉ। शांतनु पांडे, एंडोसर्जरी ओटी में डॉ। ज्ञान चंद व डॉ। सबा रत्नम, एनेस्थेसिया की डॉ। चेतना शमशेरी, डॉ। संदीप साहू, डॉ। संजय कुमार, डॉ। अंकुश, डॉ। तपस, सीनियर रेजिडेंट डॉ। श्वेता, डॉ। शिप्रा, डॉ। राजश्री, डॉ। निशांत, डॉ। आकाश जेरोम, डॉ। आशुतोष चौरसिया, डॉ। पल्लव, डॉ। दिव्या आदि के साथ ओटी अटेंडेंट राजीव सक्सेना, चंद्रेश, चंदन, अर्जुन आदि ने धुएं व आग की परवाह न करते हुए मरीजों को तुरंत दूसरी जगह शिफ्ट किया।

गर्भावस्था के बावजूद की मदद

एक महिला चिकित्सक ने गर्भावस्था होने के बावजूद धुएं में घुसकर रोगियों को रेस्क्यू किया। जिन्हें बाद में तबीयत बिगड़ने पर भर्ती कर उपचार दिया गया। महिला चिकित्सक और उनके गर्भस्थ शिशु दोनों ठीक हैं। वहीं, अत्यधिक धुएं के बीच देर तक रहने से हुई परेशानी के कारण डॉ। शमशेरी और टेक्निकल ऑफिसर राजीव सक्सेना को कुछ समय ऑक्सीजन सपोर्ट पर भी रखना पड़ा।

तुरंत एक्टिव हुई फायर फाइटिंग टीम

संस्थान की फायर फाइटिंग टीम ने भी काफी मशक्कत की, जिसकी काफी सराहना की जा रही है। घटना की सूचना मिलते ही उन्होंने अपना आंतरिक फायर फाइटिंग सिस्टम सक्रिय किया और हाइड्रेंट सिस्टम का प्रयोग करते हुए कुछ ही समय में आग पर काबू पा लिया। उस समय ओटी व आईसीयू में 25 रोगी मौजूद थे। जिनमें से 24 रोगियों का सफलतापूर्ण रेस्क्यू किया गया और उन्हें आसपास के वार्ड्स व आईसीयू में शिफ्ट किया गया।