- जरूरत के लिए एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए

LUCKNOW: माहे रमजान का दूसरा अशरा यानि मगफिरत अपनी ढलान की ओर है। जहां लोग अल्लाह की इबादत करते हुए अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, ताकि ऊपर वाला उनको जहन्नुम की आग से बचाए। ऐसे में हमें ज्यादा से ज्यादा नेक काम करने चाहिए। धर्मगुरुओं का कहना है कि रोजा आपको बेहतर इंसान बनने की ट्रेनिंग देता है। लोगों की मदद के साथ इच्छाओं पर काबू रखना ही रोजा है।

शिया हेल्पलाइन

सवाल- 21 रमजान का क्या महत्व है।

जवाब- 21 रमजान की रात्रि को शबे कद्र कहते हैं। इस रात्रि में कुरान पाक उतरा है। दूसरा महत्व यह है कि 21 रमजान की सुबह में हजरत अली अस। की शहादत हुई।

सवाल- क्या रोजा रखने के बाद खिलाल किया जा सकता है।

जवाब- रोजा रख कर खिलाल करने में कोई हरज नहीं हैं लेकिन अगर कोई चीज हल्क से नीचे चली जाएगी तो रोजा टूट जाएगा।

सवाल- अगर कोई व्यक्ति रोजा रखने के बाद 21 रमजान को जंजीर या छुरी का मातम करें तो क्या रोजा टूट जाएगा।

जवाब- रोजा नहीं टूटेगा।

सवाल- जकात किस वक्त अनिवार्य है।

जवाब- जकात कुछ शर्तो के साथ अनिवार्य होती है जैसे वस्तुएं निसाब के बराबर हो और जो उसका मालिक हो वह बालिग, अकलमंद व आजाद हो और उस वस्तुओं पर पूरा अधिकार रखता हो तो जकात अनिवार्य है।

सवाल- क्या फितरे में ऐबदार चीज जैसे घुनदार गेहूं दिया जा सकता है।

जवाब- फितरा मनुष्य के बदन का उतरन है जो चीज फितरे में दी जाए वह ऐबदार नहीं होना चाहिए।

सुन्नी हेल्पलाइन

सवाल- क्या गैर मुस्लिमों का खून मुसलमानों के लिए जायज है चाहे किसी भी तरह से हो या गैर मुस्लिमों को मुसलमानों का खून दिया जा सकता है।

जवाब- जरूरतमंद के लिए खून लेने या देने की इजाजत का तअल्लुक इंसानियत से है। इसमें गैर मुस्लिम और मुसलमानों के बीच फर्क नहीं है। इसलिए अगर जरूरतमंद मरीज गैर मुस्लिम हो तो मुसलमानों का खून उसे चढ़ाया जा सकता है।

सवाल- अगर हम खाना खा रहे हैं और बीच में अजान हो जाए तो क्या खाना खाने के बीच में अजान का जवाब दे सकते हैं।

जवाब- खाने के बीच में अजान होने की सूरत में जवाब देना जरूरी नहीं है, लेकिन अगर खाते हुए जवाब दे दें तो कोई नुकसान नहीं है।

सवाल- क्या ईद के दिन चाश्त की नफल नमाज पढ़ना जायज है।

जवाब- ईद के दिन जिसको ईद की नमाज पढ़नी है उसको चाश्त की नमाज नहीं पढ़नी चाहिए लेकिन लॉकडाउन की वजह से अगर ईद की नमाज पढ़ना मुमकिन न हो तो चाश्त की नमाज पढ़नी चाहिए।

सवाल- एक खातून हैं, उनकी एक बेटी है उसकी शादी हो चुकी है उसके शौहर बेरोजगार हैं। उनके बेटे जो कुछ कमाते हैं वह अपनी वालिदा को देते हैं। तो क्या मां अपने बेटों की कमाई से बेटी को जकात दे सकती है।

जवाब- दामाद को जकात देना जायज है लेकिन बेटी को नहीं दे सकते हैं।

सवाल- रोजे के फिदये की मात्रा क्या है।

जवाब- एक किलो छह सौ ग्राम गेहूं, अगर किसी गरीब को खाना खिलाना है तो उस को दो वक्त पेट भर कर खाना खिलाए।

कोट

लॉकडाउन की वजह से इसबार का रमजान बदल गया है। यह सीख मिली है कि इंसान कम जरूरतों के साथ भी काम चला सकता है। ऐसे में सभी से अपील है कि बिना वजह की खरीददारी में पैसा बर्बाद करने की जगह उसे गरीबों और जरूरतमंदों की मदद में लगाएं।

परवीन सुल्ताना