लखनऊ (ब्यूरो)। डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि ऐशबाग रामलीला की तुलसीदास ने रूपरेखा तैयार की थी। रामलीला समिति की स्थापना 1860 में हुई थी, लेकिन इसका इतिहास 400 वर्ष पुराना है। मुगल काल में यहां रामलीला की शुरुआत हुई थी। गोस्वामी तुलसीदास जी के शिष्यों, लखनऊ के नवाबों और बाहर के कलाकारों ने यहां रामलीला का मंचन किया है। पीएम मोदी भी यहां आकर रामलीला देख चुके हैं। वर्तमान सरकार की धार्मिक, आध्यात्मिक, साहित्यिक और शैक्षिक नीतियों ने पूरे प्रदेश की आस्था में परिवर्तन किया है। यहां लोग होली, दिवाली, ईद और बकरीद एक साथ हंसी-खुशी से मनाते हैं। सीएम योगी के नेतृत्व में सरकार के साढ़े चार साल पूरे हो गए हैं और एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ है।

टकराए राम और रावण दल

रावण दहन से पहले ऐशबाग रामलीला मैदान में रावण दल जय लंकेश तो राम दल जय श्रीराम के उद्घोष के साथ एक-दूसरे के आमने सामने आए और फिर दोनों पक्षों में जोरदार संग्राम हुआ। अंत में श्रीराम ने अपने तीर से रावण का वध कर दिया। वहीं मौसमगंज में शिवकुमार व आशीष प्रकाश के संयोजन में रावण व मेघनाद के दो पुतले जलाए गए।

यहां भी हुआ रावण दहन

सदर के धर्मशाला में भी रावण दहन किया गया। खदरा के पक्का पुल, राजाजीपुरम के पीएनटी मैदान, गोमतीनगर के बड़ी जुगोली, बीबीडी ग्रीनसिटी आदि में रावण दहन धूमधाम से किया गया।