- आयकर विभाग को मिल रहे सुराग, शुरू होगी गहन जांच

- जनधन खातों में पचास हजार से ज्यादा रकम हुई जमा

- बैंकों और इंश्योरेंस कंपनियों से जानकारी की तलब

LUCKNOW:

नोट बंदी के बाद तमाम लोगों ने अपना काला धन खपाने के लिए जन धन खातों के साथ इंश्यारेंस का भी सहारा लिया। आयकर विभाग ने इसके सुराग मिलने के बाद पड़ताल शुरू कर दी है। विभाग ने पहले चरण में बैंकों से उन जन धन खातों की जानकारी देने को कहा है जिनमें पचास हजार रुपये से ज्यादा की रकम जमा हुई है। इसकी पड़ताल के बाद कम तादाद में जमा की गयी रकम की भी पड़ताल की जाएगी। वहीं कई लोगों द्वारा अपना काला धन खपाने के लिए इंश्योरेंस कराने की जुगत का भी पता लगाया जा रहा है।

मेरठ में सामने आया मामला

आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेरठ में एक बिजनेसमैन ने अपना काला धन खपाने के लिए पांच करोड़ रुपये का इंश्योरेंस कराया है। इसका उसका एक साथ भुगतान भी कर दिया था। आयकर विभाग इस मामले की पड़ताल शुरू कर चुका है। विभाग को अंदेशा है कि नोट बंदी के बाद तमाम लोगों ने पुराने नोट खपाने के लिए एजेंटों की मदद से इंश्योरेंस कराए है। इस वजह से आयकर विभाग ने इंश्योरेंस कंपनियों से नोट बंदी के बाद हुई उन पॉलिसियों का ब्योरा देने को कहा है जिनमें पुराने नोटों से प्रीमियम जमा कराया गया था।

गाजीपुर में जमा हुए 27 लाख

आयकर विभाग गाजीपुर के एक फल विक्रेता के जन धन खाते में 27 लाख रुपये जमा होने के मामले की पड़ताल भी कर रहा है। आयकर विभाग की टीम ने जब फल विक्रेता से पूछताछ की तो उसने बताया कि यह पैसा उसकी मां ने दिया था। वहीं उसकी मां ने इससे इंकार कर दिया। आयकर विभाग को शक है कि यह रकम कुछ स्थानीय डाक्टरों व बाहुबलियों की है जिन्हें फल विक्रेता के खाते में जमा कराया गया है। वहीं दूसरी ओर हाल ही में आयकर विभाग द्वारा देश भर में जन धन खातों की पड़ताल के दौरान हुई छापेमारी के दौरान यूपी के उन बैंकों को निशाने पर ले लिया गया है जिनमें नोट बंदी के बाद पचास हजार से ज्यादा की रकम जमा की गयी है।