लखनऊ (ब्यूरो)। शहर के बीरबल साहनी पुरा विज्ञान संस्थान-बीएसआईपी जियो हेरिटेज को प्रमोट करने की पहल करने जा रहा है। इस पहल के तहत संस्थान में सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ जियो हेरिटेज एंड जियोटूरिज्म खुलने जा रहा है। इस सेंटर के जरिए संस्थान देश की सभी जियो हेरिटेज साइट का कंजर्वेशन, डिवेलपमेंट, प्रमोशन का काम कर सकेगा। बीएसआईपी में यह सेंटर तैयार किया जा चुका है, 28 जून को इस सेंटर का उद्घाटन होगा। संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सेंटर के खुलने से देशभर में जो जियोलॉजिकल साइट्स बिखरी हुई हैं, उनको एक सेंटर मिल सकेगा। जिससे उनको इन साइट्स को संरक्षित करने से लेकर इनमें रिसर्च करने का काम आसानी से किया जा सकेगा।

जियोलॉजिकल हेरिटेज का संरक्षण है जरूरी

बीएसआईपी की मीडिया प्रवक्ता ने बताया कि यह सेंटर बीएसआईपी की निदेशक डॉ। वंदना प्रसाद का इनीशिएटिव है। इसमें बीएसआईपी के साथ द सोसायटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट के सेक्रेटरी डॉ। एससी त्रिपाठी भी सहयोग कर रहे हैं। बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान की बात करें तो यह हमेशा से जियोसाइट्स को लेकर सजग व सक्रिय रहा है। ऐसे में इस तरह के सेंटर से जियो हेरिटेज को बचाया जा सकता है। इनको बचाना इसलिए भी जरूरी है कि जियोहेरिटेज यह नॉन रिन्यूएबल नैचुरल रिसोर्स है, जो लोगों के साथ साथ नैचुरल फैक्टर्स से अफेक्टेड होता है। जियोकंर्वेशन इसलिए जरूरी है क्योंकि यह लोगों को नैचुरल सिस्टम व जियोलॉजिकल कंपोनेंट के प्रति अवेयर करता है। इसके अलावा इनका साइंटिफिक, एजुकेशनल व इकॉनॉमिकल यूज भी किया जा सकता है। जैसे ग्लोबल जियोपार्क्स, जियोटूरिज्म।

यह होगा सेंटर का काम

सेंटर राज्य सरकारों के सामने इन जियोहेरिटेज साइट्स का विकासात्मक प्रस्ताव तैयार करना। साथ ही चुनिंदा इनहाउस परियोजनाओं पर काम करना। राज्य सरकारों व एजेंसियों से परामर्शी परियोजनाओं को लेना। जियोहेरिटेज साइट्स का राष्ट्रीय डोजियर, ब्रोशर, शॉर्ट फिल्में, युवा छात्रों व पेशेवरों का व्याख्यान करने का काम। भूविज्ञान भूगोल व पर्यटन क्षेत्रों में पीएचडी को बढ़ावा देना। दुनियाभर के 48 देशों में 195 यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क्स हैं। देश में एक भी यूजीजी नहीं है। देश में 40 यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स हैं।