- आसिफी मस्जिद में नहीं हुई जुमा की नमाज

- हेल्पलाइन पर रोजेदार पूछ रहे सवाल

LUCKNOW: माहे रमजान के पहले जुमे के दौरान शुक्रवार को कोविड गाइडलाइन का सख्ती के साथ पालन किया गया, जिसके तहत ऐशबाग ईदगाह जामा मस्जिद में पांच लोगों ने ही नमाज अदा की। इसके अलावा शहर की अधिकतर मस्जिदों में दो बार जमात बना कर जुमा की नमाज पढ़ाई गई ताकि कोविड नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके। वहीं नमाज के बाद रोजेदारों ने अल्लाह से कोरोना महामारी के खात्मे की दुआ मांगी। दूसरी ओर आसिफी मस्जिद के इमाम ए जुमा मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी ने कोरोना के कारण नमाज स्थगित करने का एलान किया था, जिसके कारण यहां पर जुमे की नमाज नहीं हुई।

जल्द खत्म हो वबा

बीते साल की तरह इसबार भी कोरोना काल में माहे रमजान मनाया जा रहा है। ऐसे में अल्लाह ताला से यही गुजारिश है कि वो अपने बंदों को सेहतमंद रखें और कोरोना नामक इस वबा को जल्द से जल्द खत्म करें ताकि हर किसी का जिंदगी पहले की ही तरह नार्मल हो सके।

परवेज मेमन

सुन्नी हेल्पलाइन

सवाल। अगर किसी शख्स को जुकाम है और वो रोजे की हालत में बलगम निगल जाते है तो क्या रोजे पर असर पड़ेगा

जवाब। इस से रोजे पर कोई असर नहीं पड़ेगा

सवाल। क्या रोजे की हालत में चेकअप करने के लिए खून निकलावने से रोजा टूट जाता है

जवाब। नहीं टूटता है

सवाल। वह डॉक्टर्स और नर्स जो कि कोरोना वायरस के रोगियों के इलाज के सिलसिले में रात दिन में ड्यूटी दे रहे हैं क्या वह रोजा रख सकते हैं।

जवाब। डॉक्टर्स और नर्स या उनसे संबंधित कोई अन्य जो कोविड के मरीजों के इलाज के सिलसिले में रात दिन ड्यूटी दे रहे है जिनका इस बीमारी से प्रभावित होने का खतरा ज्यादा है और होने के कारण बन सकता है तो वो रोजा न रखें और कजा करे।

सवाल। पहले से बीमारी की वजह से इम्यून सिस्टम कमजोर है ऐसी हालत में क्या मैं रोजा रख सकते है।

जवाब। पहले से मौजूद बीमारी की वजह से अगर किसी का इम्यून सिस्टम कमजोर है और डॉक्टर की राय है कि कोरेाना वायरस की वजह से उसके लिए रोजा खतरनाक हो सकता है तो उसको रोजा नहीं रखना चाहिए। बाद में कजा कर लें।

सवाल। इफ्तार किस चीज से करना बेहतर है।

जवाब। खुजूर से करना बेहतर है। अगर खुलूर न हो तो पानी वगैरह से कर लेना चाहिए।

शिया हेल्पलाइन

सवाल। यदि कोई व्यक्ति कोरोना के डर से मस्जिद में रोजा इफ्तार करने से परहेज करता है तो वह गुनाहगार होगा।

जवाब। यदि कोरोना बीमारी फैलने का कोई खतरा नहीं है तो मस्जिद में रोजा इफ्तार करना बेहतर है।

सवाल-यदि किसी व्यक्ति को पत्थरी की वजह से डॉक्टर द्वारा बहुत ज्यादा पानी पीने का आदेश दिया जाता है तो ऐसी हालत मे रोज़ा रखने का क्या हुक्म है

जवाब। इस्लाम में जो अहकाम है उनकी विशेषता यह है कि अल्लाह ने अपने हुक्म के बाद इंसानों की परेशानी को देखते हुए डॉक्टर के फैसलों को अनिवार्य कर दिया है यानि मनुष्य रोजा नहीं रखेगा।

सवाल। यदि कोई व्यक्ति पूरे एक महीने के रोजे की नियत एक साथ करले तो तो क्या हुक्म है

जवाब.पूरे एक महीने की नियत एक साथ की जा सकती है।

सवाल। एक गर्भवती महिला के लिए रोजे का क्या हुक्म है।

जवाब। यदि कोई महिला गर्भवती है तो उसे अपने और अपने पेट मे बच्चे की देखभाल करते हुए रोजा रखने या ना रखने का फैसला डॉक्टर के आदेश के अनुसार रोजा रखें

सवाल। रोजे की स्थिति में गस्बी पानी से वजू किया जा सकता है।

जवाब। किसी भी परिस्थिति में गस्बी पानी से वजू सही नहीं है चाहे वह रोजा हो या ना हो।

सुन्नी हेल्पलाइन

लोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान इन नंबरों 9415023970 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 और

Email: ramzanhelpline.2005@gmail.com

WWW.farangimahal.in

पर का सकते है।

शिया हेल्पलाइन

महिलाओं के लिए हेल्प लाइन नंबर 6386897124 है जबकि शिया हेल्प लाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।