लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के आई डिपार्टमेंट के प्रो। संदीप सक्सेना ने बताया कि जिस तरह हार्ट की एंजियोग्राफी की जाती है। उसी तरह ओसीटी मशीन की मदद से आंखों की एंजियोग्राफी की जाती है, जो बिना किसी कट या चीरे की होती है। इसके लिए बस मशीन के साफ्टवेयर में कमांड देना होता है और यह मशीन बिना किसी डाई के इस्तेमाल किए ही आंखों की हर परत की इमेज बना देती है। इसकी मदद से आंखों में ब्लड फ्लो कैसा है, इसके बारे में आसानी से पता चल जायेगा। इससे डायबिटीक रेटिनोपैथी के मरीजों के डायग्नोसिस में काफी मदद मिलेगी। इसके इस्तेमाल से बहुत ही रेयर रिएक्शन होता है।
महज दो मिनट में जांच
पहले मरीजों की आंखों की जांच के लिए काफी समय लगता था। एक नार्मल एंजियोग्राफी भी 45 मिनट से 1 घंटा ले लेती है, लेकिन इस मशीन की मदद से महज दो मिनट में ही पूरा प्रोसेस हो जाता ह। क्योंकि मशीन की मदद से आंख की फोटो ली जाती है, जो आंख की हर लेयर के बारे में बताता है। जर्मन तकनीक पर आधारित इस मशीन से यह भी पता कर सकते हैं कि जब पहले जांच हुई थी तो ब्लड फ्लो का लेवल कितना था और अब दोबारा जांच कराई तो लेवल कितना है। ऐसे में शुगर के मरीजों को इसका सबसे अधिक फायदा मिलेगा। यह मशीन करीब 90-95 लाख की आती है, जिसे वीसी द्वारा यूनिवर्सिटी बजट से उपलब्ध कराया गया है।
देख सकेंगे अधिक मरीज
प्रो। संदीप के मुताबिक इस मशीन की मदद से अब पहले के मुकाबले अधिक मरीज देखे जा सकेंगे। कोरोना से पहले रोजाना सुपर स्पेशियलिटी ओपीडी में डायबिटिक रेटिनोपैथी के करीब 50 मरीज आया करते थे जबकि सामान्य ओपीडी में भी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। ऐसे में इस मशीन की मदद से कम समय में अधिक मरीजों को दिखाने में राहत मिलेगी।

लाइफस्टाइल ने बिगाड़ी सेहत
पूरी दुनिया में चीन के बाद भारत में शुगर के मरीज सबसे अधिक हैं, जिसकी वजह से लोगों की आंखों पर भी असर पड़ रहा है। शुगर होने पर आंख की रौशनी जाने का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में समय रहते इलाज करने पर काफी मदद मिलती है।

ओसीटी मशीन की मदद से डायबिटिक रेटिनोपैथी के मरीजों को काफी राहत मिलेगी। महज दो मिनट में मशीन से जांच हो जाती है।
प्रो संदीप सक्सेना, केजीएमयू