लखनऊ (ब्यूरो)। एक फरियादी इस उम्मीद से थाने पहुंचता है कि उसकी सुनवाई होगी, उसकी शिकायतों का निस्तारण किया जाएगा, पर सिस्टम की लापरवाही के चलते अगर ऐसा न हो तो उसकी उम्मीदें टूट जाती हैं। कुछ ऐसी ही लापरवाही कैसरबाग सर्किल की तरफ से भी बरती गई है, जो लखनऊ कमिश्नरेट के सभी सर्किल्स में फिसड्डी साबित हुआ है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि इतनी स्टे्रंथ के बावजूद भी आखिर पुलिस क्यों पिछड़ रही है? आईजीआरएस के निस्तारण में क्यों पीछे है? यहां पर क्राइम कंट्रोल के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे? कैसरबाग सर्किल इसे कैसे ठीक करेगी? पढ़ेें इन तमाम सवालों के जवाब तलाशती दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने खास रिपोर्ट

16 सर्किल में सबसे पीछे

लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में कुल 16 सर्किल हैं। इसमें बाजारखाला, हजरतगंज, कैसरबाग, महानगर, गोमतीनगर, विभूतिखंड, कैंट, मोहनलालगंज, गोसाईगंज, बीकेटी, मलिहाबाद, अलीगंज, गाजीपुर, काकोरी, कृष्णानगर और चौक सर्किल शामिल है। यहां पर आने वाले आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निस्तारण को चेक किया गया, जिसमें सबसे खराब प्रदर्शन कैसरबाग सर्किल का रहा है। इसके अलावा सीसीटीएनएस में भी खराब प्रदर्शन पाया गया है। जिसकी वजह से कैसरबाग को सबसे खराब कैटेगरी में डाला गया है। हालांकि, अधिकारियों के स्तर पर अगर एक बार आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण की अपने स्तर पर जांच कर ली गई होती, तो शायद रिजल्ट कुछ और होता।

इसलिए ह़ुई चूक

एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निस्तारण को टॉप प्रियोरिटी में रखा जाता है, लेकिन कई बार पीड़ित इस निस्तारण से बिल्कुल संतुष्ट नहीं होता है या कई बार पीड़ित और विवेचक अधिकारियों के बीच आपसी तालमेल की कमी होने के कारण निस्तारण में चूक हो जाती है। जिसकी वजह से पीड़ित विवेचना अधिकारी से संतुष्ट नहीं हो पाता। यही वजह है कि आईजीआरएस के काम में पेंडेंसी ज्यादा रहती है।

ये उठाए जा रहे कदम

कैसरबाग सर्किल में अमीनाबाद, कैसरबाग और नाका का थाना आता है। ऐसे में रैकिंग आने के बाद से कैसरबाग सर्किल पुलिस अब इसे सुधारने में लगी हुई है। इसके लिए सभी थाना प्रभारियों और चौकी इंचार्ज को पेेंडिंग आईजीआरएस की समीक्षा करने को कहा गया है। इसके अलावा बढ़ते क्राइम को कंट्रोल करने पर भी फोकस करने का निर्देश दिया गया है। आईजीआरएस के निस्तारण में कहां और किससे चूक हुई हैं, इसको लेकर पुलिस अधिकारियों ने सख्त कदम उठाया है।

इसलिए पिछड़ रही पुलिस

- किसी भी आईजीआरएस के निस्तारण की तय सीमा 15 दिनों की होती है, लेकिन इन शिकायतों का निस्तारण करने के बजाए मामल सिर्फ कागजों में दबकर रह जाता है।

- अधिकतर निस्तारण के केस के बाद पीड़ित पक्ष पुलिस की जांच संतुष्ठ नहीं दिखता है, जिसकी वजह से पुलिस अक्सर पिछड़ जाती है।

- केसों के निस्तारण के बाद उनकी विवेचना भी ऑनलाइन अपलोड करनी होती है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।

- समाधान दिवस पर पुलिस को पीड़ित पक्ष की शिकायत सुनने के बाद उसका निस्तारण करना होता है, जो नहीं किया जा रहा है।

हर शिकायत का निस्तारण करना हमारी टॉप प्रियोरिटी रहती है। पर चूक कहां हुई है इसकी समीक्षा की जा रही है। साथ ही सभी थानों को भी अलर्ट कर दिया गया है। सभी आईजीआरएस शिकायतों को फिर से खंगाला जा रहा है। लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

प्रकाश चंद्र अग्रवाल, एसीपी कैसरबाग सर्किल