लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू अपनी वल्र्ड रैंकिंग यानि क्वाकरेल्ली सायमंड्स (क्यूएस) में सुधार की दिशा में काम कर रहा है। इसके लिए संस्थान अपने एलुमनाई की मदद लेेगा, जो देश-विदेश में संस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं। साथ ही, संस्थान की कोशिश अपने यहां की रिसर्च और अन्य सुविधाओं के दम पर बेहतर रैंकिंग हासिल करने की होगी, ताकि इंटरनेशनल स्टूडेंट्स और फैकल्टी को लुभाया जा सके। इसका सीधा फायदा मेडिकल संस्थानों को मिलेगा। इससे दोनों की छवि विश्वपटल पर उभर सकेगी। साथ ही, विदेशी संस्थानों से बेहतर सहयोग हासिल हो सकेगा।

रैंकिंग में करना है सुधार

प्रदेश सरकार द्वारा मेडिकल संस्थानों को इंटरनेशनल लेवल में टॉप 100 रैंकिंग के भीतर लाना के लिए उपक्रम की स्थापना की गई है। जिसमें विभिन्न यूनिवर्सिटी के शिक्षाविदों को शामिल किया गया है। इस समय पीजीआई की क्यूएस रैंकिंग 501-550 के बीच और केजीएमयू की 601-650 के बीच है। इसी को सुधारने के लिए काम किया जा रहा है। इससे न केवल इंटरनेशनल एक्सपोजर मिलता है, बल्कि संस्थानों को फंडिंग से लेकर इंटरनेशनल गठबंधन करने को भी मिलता है।

सब्जेक्ट रैंकिंग में किया अप्लाई

उपक्रम के एसोसिएट डायरेक्टर रिसर्च एंड इनोवेशन और केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। आरके गर्ग ने बताया कि क्यूएस एक प्रकार का हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स का रैंकिंग सिस्टम है। जिसमें तीन तरह की रैंकिंग क्रमश: यूनिवर्सिटी, सब्जेक्ट और रीजनल रैंकिंग होती है। मेडिकल संस्थान इसमें सब्जेक्ट क्राइटेरिया के तहत आते हैं। उसी में दोनों संस्थानों ने अप्लाई किया है।

400 एलुमनाई की लिस्ट बनाई गई

प्रो। गर्ग ने बताया कि सब्जेक्ट रैंकिंग के लिए क्राइटेरिया के तहत पहला एकेडमिक परसेप्शन यानि लोग क्या सोचते हैं और दूसरा रिसर्च कैसा है, यानि दुनियाभर से कोलेबोरेशन है कि नहीं, को देखा जाता है। इसके अलावा टीचर्स-स्टूडेंट्स कैसे हैं, फीस स्ट्रक्चर आदि भी देखा जाता है। इसी को देखते हुए करीब 400 एलुमनाई की लिस्ट अपलोड की गई है। जिसमें उनके नाम, नंबर और ई-मेल आदि लिखे हैं। पर रैंकिंग के लिए संस्था अपने स्तर से ही काम करती है। वो इन एलुमनाई के अलावा अन्य मेडिकल संस्थान सरकारी और निजी, दोनों से जानकारी मांग सकती है। रैंकिंग में परसेप्शन सबसे बड़ा रोल प्ले करता है।

मिलेगा इंटरनेशनल एक्सपोजर

प्रो। गर्ग ने बताया कि क्यूएस रैंकिंग मिलने से दुनियाभर में एक्सपोजर होता है। यह रैंकिंग सबसे बढिय़ा मानी जाती है। क्योंकि इसी रैंकिंग के आधार पर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स विश्वास करते हुए एडमीशन लेते हैं, यानि इंटरनेशनल स्टूडेंट्स-टीचर्स तो आयेंगे ही साथ ही आब्जवर्स भी आयेंगे। इसके अलावा इंटरनेशनल लेवल के कामों के लिए सेंटर बनाने के साथ फंडिंग का भी फायदा मिलेगा। क्यूएस रैंकिंग के लिए अप्लाई किया जा चुका है। इसका रिजल्ट 2024 में आयेगा।

क्यूएस रैंकिंग में सुधार से इंटरनेशनल एक्सपोजर मिलता है। वहां के स्टूडेंट्स और टीचर्स यहां आ सकेंगे। इसका सीधा फायदा केजीएमयू को मिलेगा।

-प्रो। आरके गर्ग, उपक्रम सदस्य