- ड्रग कंट्रोल ऑफ इंडिया ने प्रदान की परमिशन

- प्लमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसन व ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग ने की थी पहल

LUCKNOW : कोरोना से जंग जीत चुके योद्धा अब दूसरे मरीजों की जिंदगी बचाने में मदद करेंगे। इनके ब्लड में मौजूद प्लाज्मा कोविड-19 के मरीजों के लिए संजीवनी साबित होगा। केजीएमयू जल्द ही प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू करेगा। इसके लिए उनको ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने परमिशन दे दी हैं।

स्टेट नोडल सेंटर बना केजीएमयू

सूबे में कोरोना के सबसे अधिक टेस्ट करने वाले केजीएमयू को स्टेट नोडल सेंटर बनाया गया है। यहां से कोरोना के कई पॉजिटिव मरीज भी डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। गंभीर मरीजों की भर्ती के लिए भी 40 वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई है। इसमें 30 वेंटिलेटर आइसोलेशन वार्ड में इंस्टॉल कर दिए गए हैं। प्लाज्मा थेरेपी के लिए केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ। वेद प्रकाश ने ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के साथ मिलकर प्रस्ताव भेजा था। इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भी देश के चिकित्सा संस्थानों को कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति दे दी है। ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ। तूलिका चंद्रा के मुताबिक केजीएमयू को प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की मंजूरी मिल गई है। शनिवार को ड्रग कंट्रोल ऑफ इंडिया का पत्र प्राप्त हो गया है।

एंटीबॉडी से मिलेगी मदद

कोरोना क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट टीम के सदस्य डॉ। वेद प्रकाश के मुताबिक कोरोना कोविड-19 बीमारी सार्स-कोव टू वायरस से हो रही है। कोविड-19 से काफी मरीज ठीक हो रहे हैं। ऐसे में बीमारी से उबर चुके लोगों के शरीर में सार्स कोव-टू वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन गई है। लिहाजा, इनका प्लाज्मा चढ़ाकर गंभीर मरीजों की जान बचाना आसान होगा। लिहाजा, सर्वाइवर से प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की जाएगी। इसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसन विभाग में स्टोर कर लिया जाएगा। गंभीर मरीज आने पर परिवारजन की सहमति से यह चढ़ाया जा सकेगा। इसे कनवेलिसेंट प्लाज्मा कहते हैं। डॉ। तूलिका के मुताबिक ठीक हो चुके मरीजों से संपर्क किया जा रहा है।

यह डोनेट कर सकेंगे प्लाज्मा

- कोरोना से मुक्त हो चुके मरीज में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त लैब से वायरस की पुष्टि हुई हो।

- मरीज में संक्रमण से मुक्त हुए 14 दिन बीत चुके हों।

- बीमारी से मुक्त हो चुकीं महिला मरीजों में एचएलए निगेटिव हो

- मरीज में नाक-गले के स्वैब की रिपोर्ट दो बार निगेटिव हो

-उसके प्लाज्मा में न्यू ट्रलाइजिंग एंटी बॉडी टाइटर 1.320 से ज्यादा होना चाहिए

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इन मरीजों को चढ़ेगा प्लाज्मा

- कोराना पॉजिटिव ऐसे मरीज जिनकी जान को खतरा हो

- उसका रेस्परेटरी रेट प्रति मिनट 30 से ज्यादा हो

- ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा 93 फीसद से कम हो गई हो

-एक्स्-रे में फेफड़े में धब्बे 48 घंटे में 50 फीसद बढ़े गए हों

- रेस्परेटरी फेल्योर, सेप्टिक शॉक, मल्टी ऑर्गन फेल्योर मरीज

कोट

कोरोना कोविड-19 बीमारी सार्स-कोव टू वायरस से हो रही है। कोविड-19 से काफी मरीज ठीक हो रहे हैं। ऐसे में बीमारी से उबर चुके लोगों के शरीर में सार्स कोव-टू वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन गई है। लिहाजा, इनका प्लाज्मा चढ़ाकर गंभीर मरीजों की जान बचाना आसान होगा।

- डॉ। वेद प्रकाश, टीम मेंबर, कोरोना क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट टीम