लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में पहली बार एक निजी और सरकारी अस्पातल के बीच ग्रीन कारीडोर बनाने का काम हुआ है। जिसमें करीब 11 किमी के ग्रीन कारिडोर का सफर एंबुलेंस ने सिर्फ 7.5 मिनट में तय किया गया। यह ग्रीन कारीडोर अपोलोमेडिक्स से एसजीपीजीआई के बीच बनाया गया। जिसमें ब्रेन डेड मरीज की किडनी पीजीआई तक सुरक्षित और कम समय में पहुंचाई गई। जहां पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रमुख डॉ। नारायण प्रसाद और यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ। अनीश श्रीवास्तव के देखरेख में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू हुआ।

निजी अस्पताल ने उपलब्ध कराया

राजधानी में पहली बार एक निजी अस्पताल द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट के लिए किसी सरकारी अस्पताल को किडनी उपलब्ध कराई गई है। अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के सीईओ व एमडी डॉ। मयंक सोमानी के मुताबिक 21 वर्षीय युवक का रोड एक्सीडेंट की वजह से ब्रेन डेड हो गया था। जिसके बाद परिजनों ने उसकी दोनों किडनी, लिवर और कॉर्निया डोनेट करने पर सहमति जताई। जिसके बाद आर्गेन डोनेशन की प्रक्रिया शुरू की गई। ऐसे में चार मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।

24 घंटे में सारी जांच पूरी

जिसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पीजीआई के डॉक्टर से संपर्क किया गया। उन्होंने 24 घंटे के भीतर सभी जांच कर क्रॉस मैचिंग की प्रक्रिया को पूरा कर लिया। जबकि एक किडनी और लिवर हॉस्पिटल में भर्ती दो मरीज को ट्रांसप्लांट की गई। वहीं कॉर्निया केजीएमयू में नेत्रदान की प्रतीक्षा कर रहे एक मरीज को ट्रांसप्लांट के लिए भेजा गया।

शुरू हुआ किडनी ट्रांसप्लांट

किडनी के पीजीआई में पहुंचने के तुरंत बाद ही वहां भर्ती 35 वर्षीय महिला में ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू हो गई। नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग की टीमें मिलकर ट्रांसप्लांट को अंजाम दे रही हैं। इससे पहले केजीएमयू और पीजीआई के बीच ग्रीन कॉरीडोर बन चुका है। साथ ही लोहिया संस्थान में एक डॉक्टर को ट्रांसप्लांट के लिए बाहर भेजने के लिए एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया था।

7.5 मिनट में तय हुआ सफर

सुभाष शाक्य, डीसीपी ट्रैफिक के मुताबिक अपोलोमेडिक्स अस्पातल से पीजीआई तक 11 किमी का ग्रीन कारीडोर बनाया गया। जिसके लिए 25 प्वाइंट्स पर ट्रैफिक पुलिस वालों की ड्यूटी लगाई गई, ताकि कही किसी तरह की समस्या न हो। जिसके बाद 7.5 मिनट में यह पूरा सफर तय किया गया।