लखनऊ (ब्यूरो)। एक दौर था जब जू में कालू हुक्कू बंदर, लोहित गेंडा, अनुभव जिराफ के बाड़े के सामने सर्वाधिक दर्शकों की भीड़ जुटती थी। इनकी मौत के बाद इन बाड़ों को दोबारा नहीं भरा जा सका है। कोलकाता से आए जिराफ अनुभव की मौत 2014 में हुई थी। 2018 में गेंडा लोहित, 2019 में हुक्कू कालू की और अप्रैल 2021 में फीमेल हिप्पो आशी की मौत हुई थी। अब जिराफ सुजाता अकेले दिन काट रही है। वहीं दोनों मादा हिप्पो की मौत होने के बाद दो नर हिप्पो ही यहां रह गए हैं।


नए जानवर लाने की कवायद तेज
गेंडा लोहित की मौत के बाद कानपुर जू से दो वर्ष पहले गेंडा लाने की कवायद शुरु की गई लेकिन सफलता नहीं मिली। हुक्कू कालू की मौत के बाद मेघालय से हुक्कू लाने की योजना भी धराशायी हो गई। जू में रह रहे दुर्लभ वन्यजीवों के कुनबे को बढ़ाने के लिए फीमेल या मेल वन्यजीवों को लाने की कोशिशें सफल नहीं हो रही है।


जल्द नए जानवरों के आने की उम्मीद
निदेशक आरके सिंह ने बताया कि नए जीवों को लाने की कवायद दो-तीन साल से चल रही है। इजरायल से तीन जेब्रा आए हैं। हुक्कू बंदर को मेघालय से लाना था। हिप्पो के लिए कर्नाटक में बात की गई है। वहीं जिराफ जो लाने की कवायद तेज कर दी गई है। नए जानवरों को लाने की प्रक्रिया लंबी होती है। इसीबीच कोरोना भी आ गया। जिसकी वजह से यह प्रक्रिया और लंबी हो गई है। उम्मीद है कि जल्द ही नए जानवर प्राणि उद्यान को मिल जाएंगे।

स्तंभ बताएगा प्राणी उद्यान का इतिहास
प्राणि उद्यान के सौ वर्ष पूरे होने पर यहां पर शताब्दी स्तंभ लगाए जाने का काम चल रहा है। इस स्तंभ के माध्यम से दर्शक यहां के गौरवशाली सौ वर्षों के इतिहास को जान सकेंगे। शताब्दी स्तंभ के लिए जयपुर का नेचुरल ग्रेनाइट स्टोन इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं के मृर्तिकार इसे स्वरूप देने का काम कर रहे है। यह स्तंभ 14 फीट ऊंचा, छह फीट चौड़ा और लगभग दो फीट मोटाई में होगा।

नए जानवरों को लाने की कवायद तेज कर दी गई है। हाल ही में जेब्रा मिले है। उम्मीद है कि प्राणि उद्यान में एकबार सभी जानवर देखने को मिलेंगे।
आरके सिंह, निदेशक प्राणि उद्यान