लखनऊ (ब्यूरो)। एलडीए के तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों का एक और बड़ा खेल सामने आया है। पूर्व में तैनात रहे अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत करके नदी में समाहित 6070 वर्गमीटर भूमि का शहीद पथ के किनारे इतने ही क्षेत्रफल के व्यवसायिक व ग्रुप हाउसिंग भूखंडों में समायोजन कर दिया। एलडीए वीसी डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी ने पूरे प्रकरण की जांच करायी तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। सोमवार को वीसी ने संपत्ति की पत्रावली मंगाकर समायोजन को निरस्त कर दिया। उक्त भूखंडों की वर्तमान कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये है।

इस तरह खुला राज

सचिव पवन कुमार गंगवार ने बताया कि मेसर्स राज गंगा डेवलपर्स पार्टनर संचित अग्रवाल द्वारा प्रार्थना पत्र दिया गया कि गोमती नगर के ग्राम-मलेशेमऊ के खसरा संख्या-673क क्षेत्रफल 6070 वर्गमीटर के बदले इतने ही क्षेत्रफल की अविकसित भूमि प्राधिकरण की योजना में किसी अन्य जगह उपलब्ध करायी जाए। ग्राम-मलेशेमेऊ की उक्त भूमि बंदोबस्ती अभिलेखों में महादेव प्रसाद पुत्र पुत्तू लाल के नाम दर्ज थी। जिसे महादेव प्रसाद द्वारा नौ जनवरी 2006 को पंजीकृत विलेख के माध्यम से राज गंगा डेवलपर्स के पक्ष में विक्रय किया गया। विक्रय पत्र के आधार पर राज गंगा डेवलपर्स का नामांतरण भी राजस्व अभिलेखों में हो गया।

गोमती नदी के कारण सम्मिलित नहींं

एलडीए द्वारा अमर शहीद पथ, गोमती नगर विस्तार योजना के अंतर्गत ग्राम-मलेशेमऊ सहित अन्य ग्रामों की 1146.75 एकड़ भूमि का अधिग्रहण वर्ष 2000 में किया गया था। जिसमें ग्राम-मलेशेमऊ का खसरा संख्या-673क गोमती नदी में समाहित होने के कारण इसे सम्मिलित नहीं किया गया था, लेकिन अर्जन अनुभाग में उस समय तैनात रहे अधिकारियों व कर्मचारियों ने मिलीभगत करके उक्त भूमि के एक अंश खसरा संख्या-673ख को नदी में समाहित दर्शाया। वहीं, दूसरे अंश भाग खसरा संख्या-673क को नदी से प्रभावित न दिखाकर प्राधिकरण के कब्जे में होना दिखा दिया गया। जबकि खसरा संख्या-673क तब भी नदी में था और वर्तमान में भी नदी से कवर है।

शत प्रतिशत भूमि का समायोजन किया गया

इसके आधार पर दिनांक 12 जनवरी 2007 को उक्त अनार्जित 6070 वर्गमीटर भूमि के बदले राज गंगा डेवलपर्स को प्राधिकरण की गोमती नगर विस्तार योजना के सेक्टर-4 में 6070 वर्गमीटर भूमि समायोजित कर दी गयी। इसके एवज में फर्म की तरफ से वाह्य विकास शुल्क के रूप में 25 लाख रुपये प्राधिकरण कोष में जमा कराये गये। हालांकि, तत्समय उसकी एक्सचेंज डीड फर्म के पक्ष में निष्पादित नहीं की गयी।

वर्ष 2015 में फर्म के पक्ष में की गयी रजिस्ट्री

अर्जन अनुभाग के प्रभारी एसडीएम शशिभूषण पाठक ने बताया कि आठ मई 2015 को तत्कालीन वीसी ने राज गंगा डेवलपर्स द्वारा पूर्व में जमा करायी गयी धनराशि को समायोजित कर दिया तथा वाह्य विकास शुल्क वर्तमान दर से लेते हुए पूर्व आवंटित भूखंड की रजिस्ट्री राज गंगा डेवलपर्स के पक्ष में निष्पादित करने की स्वीकृति प्रदान कर दी। इस क्रम में राज गंगा डेवलपर्स द्वारा 84 लाख 98 हजार रुपये जमा कराकर 25 अगस्त 2015 को भूखंडों की रजिस्ट्री अपने पक्ष में करा ली गयी।

100 करोड़ की सम्पत्ति का समायोजन निरस्त

वीसी ने बताया कि मेसर्स राज गंगा डेवलपर्स को गोमती नगर विस्तार के सेक्टर-4 में शहीद पथ के पास 18 मीटर चौड़ी सड़क पर ग्रुप हाउसिंग व व्यवसायिक उपयोग के भूखंड समायोजित किये गये थे। शिकायत के आधार पर प्रकरण की जांच करायी गयी तो फर्जीवाड़ा उजागर हो गया। इसके आधार पर भूखंड संख्या-1269ए, 1269बी, 1269सी, 1269डी तथा 1269ई का समायोजन निरस्त कर दिया गया है। इन भूखंडों की वर्तमान कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये है। प्राधिकरण द्वारा इन भूखंडों को कब्जे में लेने की कार्यवाही की जाएगी।

अब जोड़ी जाएगी कड़ी से कड़ी

एलडीए प्रशासन की ओर से अब मामले की गंभीरता को देखते हुए कड़ी से कड़ी जोड़ी जाएगी। जिससे हर उस व्यक्ति तक पहुंचा जा सके, जो फर्जीवाड़े में शामिल हैै। जिनके नाम भी फर्जीवाड़े में सामने आएंगे, उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उनसे यह भी पता लगाया जाएगा कि किस तरह से पूरे खेल को अंजाम दिया गया।

फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद तत्काल प्रभाव से सभी समायोजन को निरस्त कर दिया गया है। प्राधिकरण की ओर से अब इन भूखंडों को कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

-डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए