लखनऊ (ब्यूरो)। अन्य धर्मों की तरह ईसाई समाज के लोग भी व्रत रखते हैं। उनके यहां इसका विशेष महत्व है। जो खासतौर पर गुड फ्राइडे से 40 दिन पहले शुरू हो जाता है, जिसकी शुरुआत ऐश डे से होती है, इस पीरियड को लेंट कहा जाता है। इसकी शुरुआत 14 फरवरी से हो चुकी है। इस दौरान दिन में केवल एक बार खाने की इजाजत होती है। साथ ही यह ईश्वर से प्रेम और प्रायश्चित करने का समय होता है। इस दौरान चर्च में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं।

इसलिए रखते हैं व्रत

कैथोलिक डायोसिस ऑफ लखनऊ के चांसलर और स्पोक्सपर्सन रे। डॉ। डानल्ड एचआर डीसूजा बताते हैं कि प्रभु यीशु करीब 40 दिनों तक रेगिस्तान में रहे थे। इस दौरान वह लगातार उपवास करते रहे थे। इसके बाद उन्होंने अपनी जिंदगी में उपदेश देना शुरू किया था। वहीं, गुड फ्राइडे के दिन उनको सूली पर चढ़ाया गया। इस दिन को याद करते हुए ईसाई समाज के लोग ऐश रखते हैं और 40 दिनों तक उपवास भी करते हैं।

दो दिन उपवास रखना बेहद जरूरी

डॉ। डिसूजा आगे बताते हैं कि वैसे तो 40 दिनों का उपवास का समय होता है, पर यह जरूरी नहीं है। हालांकि, दो दिन उपवास रखना बेहद जरूरी है। जिसमें पहले दिन यानि ऐश डे और आखिरी दिन यानि गुड फ्राइडे को रखना बेहद जरूरी है। व्रत के दौरान दिन में केवल एक बार ही खा सकते हैं। शुक्रवार को नॉन वेज नहीं खाया जाता, क्योंकि इस दिन को पवित्र शुक्रवार कहा जाता है। वैसे तो पूरे 40 दिनों तक नॉन वेज नहीं खाना चाहिए, लेकिन शुक्रवार को विशेषतौर पर अवॉइड करना चाहिए।

ये तीन बातें बेहद खास

इन 40 दिनों के दौरान चर्च से लेकर घरों तक में विशेष प्रार्थना का आयोजन किया जाता है। इन दिनों तीन चीजों पर काफी जोर दिया जाता है जिसमें अपने पापों के लिए पश्चाताप करना, उपवास के साथ प्रार्थना करना और गरीबों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान देना पुण्य का काम माना गया है। इस दौरान किए गये प्रायश्चित और पुण्य का बड़ा महत्व है। समाज के लोगों से अपील है कि इन दिनों प्रभु यीशु से शांति की प्रार्थना करें।

मैं जॉब करता हूं इसलिए लगातार 40 दिन व्रत नहीं रख पाता हूं। पर जब भी मौका मिलता है, उपवास रखता हूं। यह हमें प्रभु यीशु से जोड़ने का काम करता है, जो हमें त्याग करने की सीख देते हैं।

-अंकुर कुमार

मैं वर्किंग प्रोफेशनल हूं, लेकिन कोशिश रहती है कि कम से कम दो-तीन हफ्ते फास्ट रख सकूं। इस दौरान पानी तक नहीं पी सकते। हम बचपन से फास्टिंग और प्रेयर करते आ रहे हैं, इसलिए इसमें कोई दिक्कत नहीं आती है। इस दिनों, बारी-बारी सबके घर जाकर दुआ में बैठते हैं और गाने गाते हैं। उसके बाद फास्ट तोड़ते हैं।

-रोहित फ्रांसिस

गुड फ्राइडे से पहले 40 दिनों का उपवास ऐश डे से शुरू होता है। उपवास के दिनों में केवल एक बार ही खाना खा सकते हैं। इन दिनों प्रार्थना और प्रायश्चित करने का विशेष महत्व होता है। साथ ही गरीबों को दान देने का भी विशेष महत्व है, ताकि हम त्याग के साथ प्रेम को समझ सकें।

-शालिनी सिंह

लेंट के दिनों में हमें प्रभु यीशु की प्रार्थना और अपने पापों का प्रायश्चित करना होता है, क्योंकि प्रभु यीशु प्रेम और त्याग की मूर्ति हैं। उनके बताये रास्ते पर हर किसी को चलना चाहिए। उपवास रखने से आप खुद पर काबू रखना सीख पाते हैं।

-अनीता लॉरेंस