लखनऊ (ब्यूरो) । केजीएमयू, पीजीआई, लोहिया, कमांड अस्पताल और संग कुछ मरीज निजी अस्पतालों में भर्ती हंै। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राजधानी में इस समय 100 से अधिक मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। राजधानी में 12,195 एक्टिव केस हैं, यानि 1 फीसद से कम लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है। जो मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, उन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं। अस्पतालों में इलाज के दौरान भर्ती हुए मरीजों को कोविड वार्ड में शिफ्ट किया गया है।

लोहिया कोविड अस्पताल
4-5 मरीजों को ही ऑक्सीजन की जरूरत
यहां शुक्रवार शाम तक कुल 23 कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती थे। इनमें से सिर्फ 4 से 5 मरीजों को ही ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। जो मरीज भर्ती हैं, उनमें से अधिकतर को दूसरी बीमारियां भी हैं। इस बार यहां भर्ती मरीजों को सिर्फ कोरोना के चलते ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ रही है।

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान यहां भर्ती सभी मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी। इस बार ऐसा नहीं है। अब संक्रमण पहले के मुकाबले काफी कम घातक है।
डॉ। श्रीकेश सिंह, नोडल इंचार्ज, लोहिया कोविड अस्पताल

एसजीपीजीआई
11 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर
एसजीपीजीआई में इस समय कुल 39 कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं। जिसमें से 3 वेंटिलेटर और 11 ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। वेंटिलेटर पर जो मरीज हैं, वे पहले भी दूसरे वार्डों में वेंटिलेटर पर थे। कोविड होने पर इन्हें कोविड वार्ड में भर्ती किया गया है। ऑक्सीजन सपोर्ट पर हो मरीज हैं, उन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं।

इस बार जिन लोगों को सिर्फ कोरोना है, उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ रही है। दूसरी लहर के दौरान भर्ती होने वाले हर संक्रमित को ऑक्सीजन की आवश्यकता हो रही थी।
प्रो। आरके धीमन, निदेशक, एसजीपीजीआई

केजीएमयू
ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत नहीं
केजीएमयू में शुक्रवार शाम तक 30 कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं। इनमें से करीब तीन मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। इन मरीजों को पहले से बीमारियां हैं। सिर्फ कोरोना के कारण किसी को ऑक्सीजन की आवश्यकता अभी नहीं पड़ रही है।

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान करीब-करीब सभी मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही थी। कई मरीजों को तो सीधे वेंटिलेटर पर रखा गया था। इस बार हालात पहले से काफी बेहतर हैं।
डॉ। डी हिमांशु, एमएस, केजीएमयू

डरने की जरूरत नहीं
सीएमओ डॉ। मनोज अग्रवाल ने बताया कि इस बार अस्पतालों में भर्ती मरीज ज्यादा गंभीर नहीं हैं। ऑक्सीजन की जरूरत भी बेहद कम मरीजों को पड़ रही है। लोग कोरोना से डरें नहीं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और मास्क लगाकर ही घरों से निकलें।

बहुत माइल्ड है ओमिक्रॉन
एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो। धीमन ने बताया कि ओमिक्रॉन डेल्टा के मुकाबले संक्रामक अधिक है लेकिन उसके मुकाबले उतना घातक न होकर बेहद माइल्ड है। संक्रमित होने वाले मरीज जल्द ठीक हो जा रहे हैं। लोगों को ज्यादा घबराने या डरने की जरूरत नहीं है, केवल कोविड अप्रोप्रिएट बिहेव्हीयर को फॉलो करें।