- मान्यता पैनल मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाने में निभा रहा अहम भूमिका

LUCKNOW: मान्यता पैनल का मकसद मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाना है। इसके लिए सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की मदद ली जा रही है। हम डॉक्टरों व स्टाफ को डिलीवरी के समय होने वाली कठिनाइयों से निपटने के उपायों का प्रशिक्षण देते हैं। डिलीवरी के समय झटके, ब्लीडिंग आदि की समस्या मातृ-शिशु मृत्युदर का बड़ा कारण है। इस पैनल के जरिये हम मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाने में कामयाब हो रहे हैं। यह बात शनिवार को स्मृति उपवन में चल रहे 63वें ऑल इंडिया आब्सटेट्रिक्स एंड गाइनोकोलॉजी कांग्रेस में आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। प्रीती कुमार ने बताई।

बीपी की वजह से आते हैं झटके

कानपुर मेडिकल कॉलेज की डॉ। संगीता आर्य ने बताया कि गर्भावस्था में झटका आना और ब्लीडिंग होना खतरनाक है। झटका बीपी की वजह से आता है, इसलिए नियमित चेकअप जरूरी है। इसके बावजूद अचानक झटके आने लगें तो बाईं करवट लेट जाएं। ऐसा करने पर चीजें उलटी होकर बाहर आ जाती हैं। पेट दर्द, सिर दर्द, शरीर में सूजन, सांस लेने में दिक्कत व पेशाब कम आना ये सब झटके आने की बीमारी के लक्षण हैं।

डॉक्टर को जरूर दिखाएं

लखनऊ की डॉ। आंचल गर्ग ने बताया कि बच्चा ना हो तो डॉक्टर को दिखाएं। शुक्राणुओं के नली में फंसने से भी बांझपन की समस्या होती है। जिसका टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पेरेशन और टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रेक्शन की तकनीकी से इसका निदान किया जा सकता है।

मौसमी फल संग पानी है जरूरी

लोहिया संस्थान की डॉ। यशोधरा प्रदीप ने बताया कि गर्भावस्था व प्रसव के बाद सीजनल फल पर जोर होना चाहिए। दिन में कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीएं। डॉ। नंदिता ने बताया कि गर्भावस्था में सुबह-सुबह उल्टी महसूस हो तो डरें नहीं। इससे बच्चे को दिक्कत नहीं होती है। इस स्थिति में पानी अथवा जूस लें। सुबह उठने के बाद ब्रश करें और ड्राई फ्रूट चबाकर खाएं। इसके बाद फल खा लें। करीब 10 बजे के बाद पानी लें। एक कप पानी हर आधे घंटे में लें। तीन माह तक ऐसा करने से उल्टी आना बंद हो जाता है।

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अपने अंदाज में लिए जिंदगी

कार्यक्रम में आध्यात्मिक गुरु जग्गी बासुदेव सदगुरु ने अपने प्रवचन में कहा कि जीवन अपने अनुसार जीना चाहिए, क्योंकि आपको आपसे बेहतर कोई नहीं समझता है। यह तकनीकी का दौर है। इसमें खुद को संयमित रखना चुनौती है। योगा आपको मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रखता है।