लखनऊ (ब्यूरो)। तापमान में बढ़ोत्तरी होते ही एक तरफ जहां बिजली की डिमांड 25200 मेगावाट पहुंच गई है, वहीं दूसरी तरफ लोकल ब्रेकडाउन भी बढ़ गया है। ऐसे में पहले से ही सभी वितरण खंडों में एलटी वायर, ट्रांसफॉर्मर ट्रॉली के इंतजाम करने होंगे, जिससे लोगों को लंबे वक्त तक बिजली संकट का सामना न करना पड़े। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि फिलहाल अभी महंगी बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ रही है।

एक जून को 23833 मेगावाट डिमांड

एक जून को उत्तर प्रदेश की बिजली की अधिकतम मांग 23833 मेगावाट थी, वहीं रविवार को 25200 मेगावाट डिमांड पहुंच गई है। इसी सप्ताह यह डिमांड 26000 मेगावाट को क्रॉस कर सकती है। अभी राहत की बात यह है कि पावर कारपोरेशन की बेहतर रणनीति से रोस्टर के मुताबिक बिजली आपूर्ति कर पाना संभव हो रहा है। आंकड़ों की बात करें तो शाम 7 बजे से सुबह 5 बजे तक बैंकिंग की लगभग 3000 मेगावाट बिजली जून में मिलेगी। ऐसे में जहां एक तरफ महंगी बिजली खरीदने से राहत रहेगी, वहीं बिजली आपूर्ति भी मेनटेन रहेगी। हालांकि, 30 जून तक ओबरा-सी की 660 मेगावाट की मशीन को चालू कराना बहुत जरूरी हो गया है, वहीं 31 जुलाई तक जवाहरपुर की भी 660 मेगावाट की मशीन चालू हो जाएगी तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में बिजली डिमांड को पूरा करने में कोई समस्या नहीं आएगी।

ताकि लोकल ब्रेकडाउन तत्काल दूर हो

वर्तमान में शहरी क्षेत्र में लोकल ब्रेकडाउन की समस्या ज्यादा आ रही है। ऐसे में बिजली कंपनियों को पूरी तत्परता से अपने ट्रांसफार्मर ट्रॉली, एबीसी केबल, एलटी लीड, फ्यूज वायर सहित अन्य जरूरी सामग्री को हर वितरण खंड में पहले से उपलब्धता बनाए रखना पड़ेगा, जिससे लोकल ब्रेकडाउन को समय से ठीक किया जा सके।

28 हजार मेगावाट पहुंच सकी डिमांड

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजली डिमांड 28000 मेगावाट को भी पार कर सकती है। ऐसे में निश्चित तौर पर गर्मी में प्रदेश के जनता को कोई दिक्कत ना हो, उसके लिए हर स्तर पर सजग होकर काम करना होगा। पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा बैंकिंग की बिजली का जो इंतजाम किया गया है, वह अभी तक सफल रहा है।