लखनऊ (ब्यूरो)। पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए रविार को अपराध करने वाले 3 मनबढ़ व दबंग व्यक्तियों को उप्र गुंडा नियंत्रण अधिनियम 1970 के तहत पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ की सीमा से 6 माह के लिए जिला बदर किया गया है। इसमें मुन्ना (21) पुत्र शमशाद निवासी 652/464 सेक्टर सी सबौली विकासनगर, नीरज पांडेय (30) पुत्र रविन्द्र कुमार पांडेय निवासी सरस्वतीपुरम निकट कामाख्या मंदिर खरगापुर थाना गोमतीनगर विस्तार और श्रवण कुमार साहू (35) पुत्र भवानी भीख साहू निवासी केतन बिहार आलमनगर थाना तालकटोरा पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ है।


क्या है गुंडा एक्ट
- गंभीर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए उत्तर प्रदेश में गुंडा एक्ट लगाया जाता है
- कमिश्नरेट में डीसीपी स्तर के अधिकारी के पास गुंडा एक्ट लगाने की पावर है
- गुंडा एक्ट में पकड़े गए अपराधियों को आसानी से जमानत नहीं मिल पाती है
- इस एक्ट में अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का अधिकार होता है


इन लोगों पर होती है कार्रवाई
मानव तस्करी, मनी लॉडिं्रग, गोहत्या, बंधुआ मजदूरी और पशु तस्करी रोकने के लिए ये एक्ट लगाया जाता है। इसके अलावा जाली नोट, नकली दवाओं का व्यापार, अवैध हथियारों का निर्माण और व्यापार, अवैध खनन जैसे अपराधों पर भी गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई का प्रावधान है।

कार्रवाई का मिला था अधिकार
गुंडा और गैंगस्टर एक्ट दोनों में ही पहले डीएम को कार्रवाई का अधिकार होता था। उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक 2021 विधानसभा में पास हुआ। यह कानून यूपी केपुलिस कमिश्नरेट वाले जिलों में लागू किया गया। चारों पुलिस कमिश्नरेट की व्यवस्था लागू है। पुलिस कमिश्नरेट को मजबूत करने के लिए विधेयक विधानसभा में पास हुआ है। पहले केवल पुलिस कमिश्नर को अधिकार था। अब इस विधेयक के पास होने के बाद डीसीपी को भी गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की ताकत दे दी गई है।

दो वर्षों में हुई कार्रवाई
वर्ष कार्रवाई
2019-20 89 अपराधी जिला बदर
2020-21 152 अपराधी जिला बदर

एनएसए के तहत कार्रवाई
वर्ष कार्रवाई
2019-20 8 के खिलाफ एनएसए
2020-21 10 के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई

दो तीन केस में नहीं होती कार्रवाई
पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के अनुसार गुंडा एक्ट व जिला बदर की कार्रवाई एक दो मामले में नहीं की जाती बल्कि उस व्यक्ति के खिलाफ की जाती है जो लगातार अपराध में लिप्त हो या फिर उसके द्वारा समाज में भय व्याप्त हो रहा है। उसकी अपराधिक प्रवृत्ति के चलते समाज में शांति भंग की आशंका होती है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर पहले उन्हें नोटिस दी जाती फिर कार्रवाई की जाती हैै।

6 माह के लिए किया जाता है तड़ीपार
ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें जिले से 6 माह के लिए तड़ीपार किया जाता है। इस समय अवधि पर अगर वह व्यक्ति जिला के बार्डर एरिया को पार कर अंदर आता है तो उसकी गिरफ्तारी कर उसे अधिकतम 60 दिन के लिए जेल भेजा जाता है, उसकी जल्द जमानत भी नहीं होती। जेल से वापस लौटने पर जिला बदर की अवधि को दोबारा पूरा करना पड़ता हैै। वहीं इस दौरान अपराधी को अपने रहने के स्थान के बारे में जानकारी देनी होती है ताकि संबंधित थाने को इसकी जानकारी दी जा सके। साथ ही अपराधी को संबंधित थाने में रोज हाजिरी भी लगानी पड़ती है।
इलेक्शन से पहले बड़ा एक्शन
आमतौर पर कई जिलों में गुंडा एक्ट व जिला बदर की कार्रवाई इलेक्शन के दौरान की जाती है, जिसमें शांति पूर्ण चुनाव कराने व चुनाव में गड़बड़ी फैलाने वालों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में इलेक्शन से पहले ही बड़े पैमाने पर जिला बदर कर कार्रवाई की गई है। यह कार्रवाई अपराध पर अंकुश लगाने के लिए की गई है। लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट इलेक्शन के दौरान 107, 16 में पांबद करने की तैयारी कर रही हैै।

लखनऊ कमिश्नरेट में अपराध पर अंकुश लगाने के लिए ऐसे लोगों को चिन्हित कर जिला बदर की कार्रवाई की है जो अपराध में शामिल हैं और लगातार अपराध कर रहे हैं। उनकी वजह से समाज में शांति व्यवस्था बिगडऩे की भी आशंका हैै। इस वर्ष बड़े पैमाने पर जिला बदर की कार्रवाई की गई हैै।-

डीके ठाकुर, पुलिस कमिश्नर