लखनऊ (ब्यूरो)। गुरुवार को एटीएस की टीम ने वाराणसी से अच्छे लाल चौरसिया उर्फ बच्चा को 1.51 लाख रुपये के नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि नकली नोट बांग्लादेश में छप रहे हैं, जो वेस्ट बंगाल के मालदा के रास्ते यूपी लाए जा रहे हैं। यह नेटवर्क इतना बड़ा है कि इसने यूपी के अन्य शहरों में भी बड़े पैमाने पर पैर पसार लिया है। यही वजह है कि आए दिन राजधानी में भी इस तरह के मामले सामने आते हैं। खुफिया एजेंसी से लेकर पकड़े गए आरोपियों से भी बांग्लादेश से नकली नोटों की सप्लाई को लेकर खुलासा हो चुका है। बावजूद इनकी सप्लाई पर लगाम नहीं लग पा रही है। पेश है खास रिपोर्ट

केस-1

फरवरी 2024 को एटीएस की टीम ने अंकुर मौर्य और विपिन गुप्ता को वाराणसी से गिरफ्तार किया था। इनके कब्जे से 45 हजार रुपये के जाली नोट बरामद हुए थे। पूछताछ ने आरोपियों ने बताया था कि वे बांग्लादेश से आने वाले इन नोटों की सप्लाई करने आए थे।

केस-2

जनवरी 2024 को एटीएस ने जाली नोट के साथ दो आरोपी दीपक कुमार और चंदन सैनिक को वाराणसी से 97,500 रुपये के साथ गिरफ्तार किया था। पूछताछ में आरोपियों ने बताया था कि नोटों की तस्करी बांग्लादेश से होती है। मालदा के रास्ते इन नोटों को यूपी लाया जा रहा है।

केस-3

नवंबर 2023 को एसटीएफ ने जाली नोटों के दो सप्लायर को सरोजनीनगर से पकड़ा था। उनके कब्जे से 100-100 के 496 नोट बरामद हुए थे। पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया था कि उनका मुखिया अमेठी का रहने वाला है। वे तो सिर्फ नोटों को सप्लाई करने आए थे।

केस-4

अगस्त 2023 को मड़ियांव थाना पुलिस नकली नोट के गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से 3.20 लाख मूल्य के 500, 200 और 100 रुपये के नोट बरामद किए गए थे। गिरोह का सरगना नई दिल्ली का रहने वाला था। पिछले कई सालों से आरोपी इसमें लिप्त थे।

इन-इन नोटों का क्लोन

एटीएस और पुलिस की टीम आए दिन नकली नोटों के सप्लायर को गिरफ्तार करती रहती है। पकड़े जा रहे इन आरोपियों के कब्जे से सबसे ज्यादा 50, 100, 200 और 500 रुपये के नकली नोट मिल रहे हैं। एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल के मुताबिक, 100, 200 और 500 के नोट सबसे ज्यादा चलन में रहते हैं। ऐसे में आरोपी इस बात का फायदा उठाकर तस्करी कर करते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, नकली नोटों के सप्लाई को लेकर 130 से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।

ऐसे चलता है खेल

पकड़े गए आरोपी अच्छे लाल ने बताया है कि नोटों का जखीरा बांग्लादेश से वेस्ट बंगाल के रास्ते भारत भेजा जाता है। इसके लिए कई बार्डर का इस्तेमाल किया जाता है। फिर नोटों को बार्डर से वेस्ट बंगाल के रास्ते मालदा भेजा जाता है, जहां पर सप्लायरोंं को नोट सप्लाई करने का काम सौंप दिया जाता है और फिर यहां से अलग-अलग रास्तों के जरिये नोटों को कई शहरों में सप्लाई कर दिया जाता है। इसमें सप्लायरों को 30 से 40 परसेंट तक कमीशन दिया जाता है।

बैंककर्मी भी खा रहे गच्चा

वहीं दूसरी तरफ, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी भी आए दिन नकली नोट मिलने को लेकर गच्चा खा रहे हैं। इसे लेकर महानगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई जाती है। ऐसे में, सवाल यह भी उठता है कि जाली नोट पहचानने के विशेषज्ञ बैंककर्मी ही जब इन्हें पहचान नहीं पा रहे तो फिर आम पब्लिक का क्या होता होगा। पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, महानगर थाने में पिछले छह सालों में 44 एफआईआर हुई हैं। हैरानी की बात है कि आए दिन मुकदमों की लंबी कतार लग रही है, लेकिन केस सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाते हैं।

ये भी आशंका

नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि जांच में बांग्लादेश का नाम सामने आया है। यही से नोटों की सप्लाई भारत में हो रही है, लेकिन इसपर भी जांच चल रही है कि बांग्लादेश में ही नोट छप रहे हैं या फिर पाकिस्तान समेत अन्य कोई देश शामिल है। हालांकि, अबतक पकड़े गए ज्यादातर आरोपी सप्लायर ही हैं। मुख्य सरगना के पकड़े जाने के बाद आगे का खुलासा होगा।

उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान

फेक करेंसी का कारोबार करने वाले आरोपियों पर पुलिस आईपीसी की धारा 489-बी के तहत एफआईआर दर्ज करती है। यह एक गैरजमानती धारा है। यानी गिरफ्तारी के बाद सीधे जेल भेज दिया जाता है। साथ ही केस के साबित होने पर दोषी को 10 साल से लेकर उम्रकैद तक सजा का प्रावधान है।

कब-कब हुई एफआईआर

साल एफआईआर

2018 01

2019 08

2020 03

2021 07

2022 11

2023 12

2024 02