लखनऊ (ब्यूरो)। आए दिन शहर के अलग-अलग थानों में बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। जिसके बाद थाना पुलिस के साथ-साथ 'ऑपरेशन मुस्कान' के तहत इन बच्चों को तलाश किया जाता है, ताकि उनके परिवार के चेहरे पर खुशियां लौटाई जा सकें। पर आपको जानकर हैरानी होगी कि शहर में लापता बच्चों को तलाशने में पुलिस सुस्त नजर आ रही है। ऑपरेशन मुस्कान के तहत कुछ हद तक राहत जरूर है, लेकिन अभी भी सैकड़ों ऐसे परिवार है जिन्हें अपने बच्चों की तलाश है।

केस-1

दुबग्गा के रहने वाले व्यक्ति ने पुलिस को तहरीर में बताया कि उनकी 16 साल की बेटी लापता हो गई है। बेटी घर से यह कहकर निकली कि वह सहेली के साथ मार्केट जा रही है, लेकिन वह लौटी नहीं। इस दौरान उसकी सहेलियों से लेकर अन्य जगहों पर काफी तलाश की, लेकिन वह कहीं नहीं मिली।

केस-2

आशियाना की रहने वाली महिला ने पुलिस को बताया कि उसका बेटा कहीं लापता हो गया है। वह घर से यह कहकर गया था कि स्कूल जा रहा है, लेकिन स्कूल की छुट्टी के बाद भी लौटा नहीं, जिसके बाद से परिवार उसकी खोजबीन में जुटा है।

750 के करीब मामले दर्ज

पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो साल में अबतक तकरीबन 750 से अधिक गुमशुदगी के मामले दर्ज हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से करीब 30 परसेंट गुमशुदा लोगों की तलाश हो पाई है, जबकि बाकियों की तलाश अभी जारी है। इनमें ज्यादातर वे केस आते हैं, जिनमें लड़कियां अपनी मर्जी से चली जाती हैं या फिर किसी के बहकावे में घर छोड़ देती हैं, जिसकी वजह से लापता की कैटेगरी में आने वाले केसों की संख्या में इजाफा हो जाता है। हालांकि, बाद में ऑपरेशन मुस्कान की सहायता से इनको खोज लिया जाता है।

300 से अधिक बच्चों की तलाश

शहर के अलग-अलग थानों में दर्ज गुमशुदगी के मामलों को पहले थाना पुलिस अपने स्तर पर देखती है, जब उन्हें सफलता नहीं मिलती, तो केस को ऑपरेशन मुस्कान टीम को ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसके बाद ऑपरेशन मुस्कान अलग-अलग शहरों समेत अन्य राज्यों के स्नेहालय और एनजीओ के माध्यम से बच्चों के बारे में पता करती है। एक आंकड़े के मुताबिक, ऑपरेशन मुस्कान टीम ने 300 से अधिक बच्चों को तलाश कर उनके परिवारों के चेहरे पर खुशियां बिखेरी हैं।

ये भी है सच्चाई

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आए दिन शहर के थानों में गुमशुदगी की एफआईआर दर्ज कराई जाती है, लेकिन कई बार लापता बच्चे बाद में खुद ही घर वापस लौट आते हैं। आंकड़े यह भी बताते हैं कि गुमशुदा बच्चों में सबसे ज्यादा लड़कियों की संख्या तकरीबन 70 परसेंट और लड़कों की संख्या करीब 30 परसेंट होती है।

पैरेंट्स को ध्यान देने की जरूरत

वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ। देवाशीष शुक्ला का कहना है कि बच्चों के घर से जाने के कई कारण होते हैं, जैसे घर में लड़ाई होना, जिंदगी में कुछ अलग करने के लिए, पढ़ाई से मनमुटाव या फिर किसी के साथ चले जाना, पर अगर परिवार इन पर थोड़ा ध्यान दें तो शायद बच्चे गलत कदम उठाने से बचें। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है इनकी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना, जितना ज्यादा पैरेंट्स अपने बच्चों पर ध्यान देंगे, उतना ही बच्चे अपनों के करीब रहते हैं।