लखनऊ (ब्यूरो)। वोटिंग परसेंटेज बढ़ाने के लिए डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन कमीशन ने पूरी तैयारियों का दावा किया था। इलेक्शन कमीशन ने भी वोटिंग के लिए 18 विकल्प भी वोटर्स के लिए दिए थे। हालांकि इलेक्शन कमीशन के गाइड लाइन को पोलिंग सेंटर में तैनात मतदान कर्मी ने पूरी तरह से फॉलो नहीं किया। जिसके चलते कई जगह पर वोटर्स की नाराजगी का सामाना करना पड़ता तो कहीं पर वोटर्स पोलिंग बूथ से बिना वोट कर वापस चले गए।

दावे हजार, व्यवस्था बेकार

कैंट छावनी परिसर के अम्बेडकर शिक्षा निकेतन विद्यालय में पत्नी संग मतदान करने पहुंचे 65 वर्षीय सोहनलाल ने प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए गुस्सा व्यक्त किया। सोहनलाल का कहना था कि कुछ दिन पहले पैर में फोड़े के कारण उनका ऑपरेशन हुआ था। इसकी वजह से वह चलने में असमर्थ हैं। मतदान के लिए वह पोलिंग बूथ पर पहुंचे तो वहां व्हीलचेयर तक की व्यवस्था नहीं थी। किसी तरह उनकी पत्नी व अन्य मतदाताओं ने सहारा देकर उन्हें वोटिंग कक्ष तक पहुंचाया। आरोप है कि सरकार व चुनाव आयोग चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन प्रशासन अपनी ही मनमानी करता है।

विकल्प को भी नहीं माना मतदान कर्मियों ने

वोटर आईडी के 18 विकल्प भी दिये गये। पोलिंग सेंटर के बाहर तक वाहनों को ले जाने की छूट दी गयी। बुजुर्गों को पहले वोट डालने में प्राथमिकता गिनायी लेकिन सोमवार को मतदान के दिन आयोग के वादे धरे रह गये। मतदानकर्मी अपनी निर्देश पर ही चलते दिखे। वृंदावन कालोनी के एक मतदान केंद्र पर बुरा हाल था। यहां बुजुर्ग भी लाइन में लगे दिखे। वहीं, कुछ कुर्सी पर बैठे अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। उनसे पूछा गया कि आप बिना लाइन के वोट डाल सकते हैं तो बोले-ये आप कह रहे हैं पोलिंग बूथ के अंदर कोई जाने देगा तब न। लोग नाराज थे। स्कूल की एक गैलरी में बने पांच-छह कमरों को पोलिंग बूथ बना दिया गया था जबकि उस गैलरी में इतने लोगों के खड़े होने की जगह तक नहीं थी। वोटरों की ठसाठस भीड़ दिख रही थी। छावनी परिषद के मंगला देवी जूनियर हाईस्कूल मतदान केंद्र पहुंचे मतदाताअें के वाहन पुलिस हटवा रही थी जबकि आयोग के साफ निर्देश थे कि पोलिंग सेंटर के बाहर वाहन खड़े कर मतदाता वोट डालने जा सकते हैं। इस बारे में वहां मौजूद दारोगा से पूछा गया तो वह बोला, यहां वाहन खड़ा करने की अनुमति नहीं है।

पोलिंग एजेंट को ही पोलिंग सेंटर से कर दिया बाहर

वोटर आईडी के दिये गये 18 विकल्पों में निजी संस्थान के फोटोयुक्त पहचान पत्र को भी मतदानकर्मियों ने मानने से इंकार कर दिया। अश्विनी नाम का एक युवक जो प्राइवेट कंपनी में काम करता है। उसने अपने संस्थान का कार्ड दिखाया लेकिन फिर भी उससे आधार की मांग की गई। तर्क दिया गया कि उसकी आईडी में जो नंबर दिया हुआ उसकी डिजिट लंबी है। वो बिना वोट डाले वापस लौट गया। आयोग की एक और गाइडलाइन का जिक्र करते हैं कि पोलिंग एजेंटों को मतदान केंद्र से बाहर नहीं किया जाएगा। कैंट के सिंचाई विभाग मतदान केंद्र में पोलिंग एजेंटों को मतदान केंद्र के किनारे बैठा दिया। मतदाताओं से उनका संपर्क टूट गया। इस बात को लेकर उनमें काफी गुस्सा दिखा जबकि पोलिंग एजेंट मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने में मददगार होते हैं। इस केंद्र पर नौ बूथ थे।

नवजीवन इंटर कॉलेज पहुंची मंडलायुक्त

मंडलायुक्त डॉ। रौशन जैकब लखनऊ से रायबरेली जा रही थीं। इसी बीच मोहनलालगंज के नवजीवन इंटर कॉलेज मतदान केंद्र में रुक कर मंडलायुक्त ने वहां की व्यवस्था देखी। कुछ अव्यवस्थाएं भी दिखीं जिनको सुधारने के निर्देश दिये। कमिश्नर ने सभी बूथों के बाहर चार-चार कुर्सियां डलवायीं ताकि वृद्ध और विकलांग वोटर बैठ सकें। उन्हें लाइन में न खड़ा होना पड़े। गेट पर व्हीलचेयर नहीं मिली तो उन्होंने स्काउट गाइड से व्हील चेयर गेट के पास ही रखने को कहा ताकि किसी बुजुर्ग के काम आ सके। इसके साथ ही उन्होंने शरबत और म_ïा भी बंटवाने के निर्देश दिये। मंडलायुक्त ने बताया कि मतदान शंातिपूर्ण चल रहा है।

मोबाइल ले जाने से मना किया तो नहीं डाला वोट

मोहनलालगंज के एक पोलिंग सेंटर पर बुजुर्ग दंपति के पास मोबाइल फोन था। गेट खड़े सुरक्षाकर्मी ने साथ में मोबाइल ले जाने मना कर दिया। झुंझलाए बुजुर्ग वोटर ने मतदान करने से इंकार कर दिया और वह वापस अपने घर की ओर चल दिये। ऐसा कई जगह देखने को मिला कि मोबाइल साथ में लाये लोगों को बड़ी दिक्कतें हुईं। अब वोट डालने के लिए वह मोबाइल कहां रखें या किसे पकड़ाएं। वहीं, बीकेटी इंटर कॉलेज मतदान केंद्र पर वोट डालने चार किलोमीटर दूर से आयीं पूनम रावत उस वक्त असमंजस में पड़ गयीं जब मतदान केंद्र के बाहर सुरक्षाकर्मियों ने मोबाइल भीतर ले जाने से मना कर दिया। वो अकेले थीं। मोबाइल किसके पास रखवातीं। लिहाजा उनके पास बिना वोट डाले वापस लौट जाने के अलावा कोईर् रास्ता नहीं बचा। इस तरह मोबाइल की वजह से कईर् मतदाता वोट नहीं डाल पाये।