लखनऊ (ब्यूरो)। सर्दी के मौसम में पैरालिसिस और ब्रेन हैमरेज के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। डॉक्टर्स के अनुसार इसका प्रमुख कारण बीपी का अनियंत्रित होना और शुगर का अप-डाउन होना है। अब सर्दी बढ़ रही है। ऐसे में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। अभी तक यह समस्या अधिक उम्र वालों में ज्यादा दिखाई देती थी लेकिन अब यंगस्टर्स भी इसका शिकार हो रहे हैं।

ठंड में बढ़ती है संख्या

केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ। आरके गर्ग ने बताया कि सर्दी में लकवा की समस्या बढ़ जाती है। इस समय रोज इसके 5 से 6 केस संस्थान में आ रहे हैं। ब्रेन हैमरेज के मरीज भी आने लगे हैं। इसका कारण यह भी है कि सर्दी में बीपी अनकंट्रोल भी हो जाता है। रक्तवाहिनी सिकुड़ जाती है और लोगों का खान-पान भी बदल जाता है।

अर्ली मार्निंग होता स्ट्रोक

संजय गांधी पीजीआई के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ। विमल पालीवाल ने बताया कि लकवा की समस्या 50 की उम्र के बाद के लोगों में अधिक देखने को मिलती है। इस उम्र के लोगों में अर्ली मार्निंग यह समस्या अधिक दिखाई देती है। ऐसे में इस आयु वर्ग के लोगों को सुबह के समय ठंड से हर हाल में बचना चाहिए। वहीं, बुजुर्गों को अधिक ठंड होने पर घर से बाहर नहीं निकलने देना चाहिए।

यंग स्ट्रोक बढ़ रहा

डॉ। विमल पालीवाल के मुताबिक लकवा की समस्या अब 20 से 25 वर्ष की उम्र वालों को भी हो रही है। बिगड़ी लाइफस्टाइल के चलते इस उम्र के लोग बीपी और शुगर का भी शिकार हो रहे हैं। जिसे यंग स्ट्रोक भी कहा जाता है। यह आमतौर पर कार्डियक रिलेटेड होता है। इससे हार्ट के किसी हिस्से में थक्का बनता है जो ब्रेन में जाता है। वहीं, इससे दिमाग की नस फटने से ब्रेन हैमरेज भी हो जाता है।

युवा क्यों बन रहे शिकार

डॉक्टर्स के मुताबिक कम उम्र के लोगों में भी लकवा के मामले सामने आने का एक बड़ा कारण अल्कोहल या ड्रग्स का लेना है। वहीं बीपी और शुगर की बीमारियां भी इसे बढ़ाने का काम कर रही हैं। जो युवा रात में नशा करके घर के बाहर घूमते हैं, उनमें इसकी आशंका अधिक होती है।

ऐसे करें बचाव

- बीपी और शुगर कंट्रोल रखें

- बीपी और शुगर की दवा लेते रहें

- कोई भी दिक्कत होने पर डाक्टर से संपर्क करें

- खुद को बिजी रखना जरूरी है

सर्दी के मौसम में लकवा की समस्या बढ़ जाती है। इसका प्रमुख कारण बीपी का अनकंट्रोल होना भी है। ऐसे में सर्दी के मौसम में विशेष सतर्कता रखने की जरूरत है।

डॉ। आरके गर्ग, न्यूरोलॉजी विभाग, केजीएमयू

50 साल से अधिक उम्र वालों में अर्ली मार्निंग यह समस्या ज्यादा दिखाई देती है। ऐसे में बुजुर्गों और बीमार लोगों को सुबह के समय घर से निकलने से बचना चाहिए।

डॉ। विमल पालीवाल, न्यूरोलॉजी विभाग, एसजीपीजीआई